
भारत में प्रॉपर्टी को तोहफे में देना आम बात है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को या रिश्तेदार किसी खास मौके पर संपत्ति देते हैं। लेकिन यह सिर्फ प्यार और भावना की बात नहीं है, इसके लिए भारत में कुछ कानून बने हुए हैं। अगर आप किसी को प्रॉपर्टी गिफ्ट करना चाहते हैं तो आपको Property Gift Rules का पालन करना होगा, नहीं तो कानूनी परेशानी हो सकती है।
प्रॉपर्टी गिफ्ट करने का आधार
भारत में संपत्ति गिफ्ट करने की पूरी प्रक्रिया Transfer of Property Act के सेक्शन 122 के अंतर्गत आती है। इस कानून के अनुसार, प्रॉपर्टी गिफ्ट करने का अर्थ है किसी अचल संपत्ति को बिना किसी लेन-देन यानी मुआवजे के, स्थायी रूप से किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर करना। इस प्रक्रिया में संपत्ति का स्वामित्व गिफ्ट प्राप्तकर्ता को दिया जाता है और बदले में कोई राशि नहीं ली जाती।
यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि जिस संपत्ति को गिफ्ट किया जा रहा है, वह पूरी तरह से गिफ्ट देने वाले के नाम पर रजिस्टर्ड होनी चाहिए। यानी, जब तक आप संपत्ति के कानूनी मालिक नहीं होते, तब तक आप उसे गिफ्ट नहीं कर सकते।
गिफ्ट डीड: एक आवश्यक दस्तावेज
संपत्ति को गिफ्ट करने के लिए Gift Deed बनवाना अनिवार्य होता है। जैसे आप संपत्ति की बिक्री के समय Sale Deed बनवाते हैं, उसी तरह गिफ्ट के लिए एक वैधानिक Gift Deed तैयार करानी होती है। यह डीड संबंधित जिले के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड करानी होती है।
गिफ्ट डीड की रजिस्ट्री प्रक्रिया में यह देखा जाता है कि संबंधित स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया गया है या नहीं। जब गिफ्ट डीड पूरी तरह से रजिस्टर्ड हो जाती है और प्राप्तकर्ता उसका स्वीकृति पत्र साइन कर देता है, तभी वह डीड कानूनी रूप से प्रभावी मानी जाती है।
स्टांप ड्यूटी और गिफ्ट की वैधता
स्टांप ड्यूटी का भुगतान प्रॉपर्टी गिफ्ट प्रक्रिया का एक जरूरी हिस्सा है। बिना स्टांप ड्यूटी के, गिफ्ट डीड अधूरी मानी जाती है और वह किसी भी कानूनी अधिकार की गारंटी नहीं देती। एक बार जब गिफ्ट डीड पर स्टांप ड्यूटी का भुगतान हो जाए और प्राप्तकर्ता उसे स्वीकार कर ले, तब जाकर वह कानूनी रूप से प्रभावी हो जाती है।
गिफ्ट वापस लेने के नियम
Transfer of Property Act के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में गिफ्ट वापस भी ली जा सकती है। उदाहरण के लिए, अगर प्रॉपर्टी किसी खास उद्देश्य के लिए दी गई थी और प्राप्तकर्ता ने वह उद्देश्य पूरा नहीं किया, तो गिफ्ट देने वाला उसे वापस लेने का अधिकार रखता है। यह विशेष प्रावधान पारिवारिक विवादों या गलत इरादों से किए गए गिफ्ट्स को नियंत्रित करने में उपयोगी सिद्ध होता है।