वृंदावन के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज, जिन्हें क्रिकेटर विराट कोहली का आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी माना जाता है, आज देश ही नहीं, विदेशों में भी लाखों अनुयायियों के बीच एक जाना-पहचाना नाम हैं। इनके प्रवचनों के वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज़ बटोरते हैं। लेकिन जितना बड़ा इनका प्रभाव है, उतनी ही बड़ी है इनसे जुड़ी आर्थिक व्यवस्था — जो अक्सर चर्चा में रहती है।

देश-विदेश में फैला है प्रभाव
प्रेमानंद महाराज का मुख्य आश्रम मथुरा में स्थित है, लेकिन उनके अनुयायी न केवल भारत के कोने-कोने से बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और मारीशस जैसे देशों से भी जुड़ चुके हैं। हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आश्रम में पहुंचते हैं। यहां नियमित भोजन प्रसाद, सेवा कार्य और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं।
रोज़ाना का खर्च: चौंकाने वाला आंकड़ा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेमानंद महाराज के आश्रम में हर दिन लगभग ₹3 करोड़ तक का खर्च होता है। यह खर्च मुख्यतः भोजन, सामाजिक सेवा, रहने-सहने की व्यवस्थाएं और धर्मिक आयोजनों में लगता है। आश्रम में प्रतिदिन हजारों लोगों को निःशुल्क भोजन कराया जाता है।
इस व्यय का प्रमुख स्रोत है — भक्तों द्वारा दिया गया दान। इसके अलावा प्रेमानंद जी के प्रवचन, विशेष धार्मिक आयोजन, और आध्यात्मिक कार्यक्रम भी आय के साधन बनते हैं। आश्रम में किसी भी सेवा के लिए शुल्क नहीं लिया जाता, लेकिन दान देने की परंपरा स्वेच्छा से निभाई जाती है।
महाराज का जीवन और निजी खर्च
भले ही आश्रम की आर्थिक व्यवस्था विशाल हो, लेकिन प्रेमानंद महाराज अपने निजी जीवन में सादगी के प्रतीक माने जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स और स्वयं महाराज के बयानों के अनुसार, वे रोजाना मात्र ₹400–₹500 के भोजन से संतुष्ट रहते हैं और उनके पास व्यक्तिगत रूप से “1 रुपया भी नहीं रहता”।
वे कई बार अपने प्रवचनों में कह चुके हैं कि “जिसे संसार में कुछ चाहिए, वह संत नहीं हो सकता”। उनका कहना है कि सारी संपत्ति भगवान की है और वे केवल एक माध्यम हैं।
दान में आती है करोड़ों की राशि
भक्तों की आस्था इतनी प्रबल है कि आश्रम को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये का दान मिलता है। यह दान नकद, सोने-चांदी के आभूषण, जमीन-जायदाद, और यहां तक कि विदेशी मुद्रा के रूप में भी आता है। आश्रम प्रशासन इसे सामाजिक कार्यों, गौशालाओं, मेडिकल कैंपों और आश्रय गृहों में लगाता है।
विवाद और पारदर्शिता
हालांकि महाराज और उनके आश्रम को लेकर कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया है, लेकिन इतनी बड़ी रकम के संचालन को लेकर सवाल उठते रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि आश्रम की सभी आय-व्यय ट्रस्ट के तहत संचालित होती हैं और इसका लेखा-जोखा पारदर्शी रखा जाता है।
प्रेमानंद महाराज भले ही व्यक्तिगत रूप से संपत्ति से दूर रहते हों, लेकिन उनका आश्रम और उससे जुड़ी आर्थिक संरचना किसी मध्यम आकार के संगठन से कम नहीं है। उनके दर्शन और सादगी से प्रभावित होकर करोड़ों लोग आज उनसे जुड़ रहे हैं। इस सबके बीच, यह समझना जरूरी है कि आध्यात्मिकता और आर्थिक प्रबंधन — दोनों एक संतुलन के साथ आगे बढ़ रहे हैं।