सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलती प्रॉपर्टी की मिल्कियत! ये एक ज़रूरी स्टेप भूल गए तो फंस सकते हैं कानूनी झमेले में

रजिस्‍ट्री के बाद म्यूटेशन कराना प्रॉपर्टी की पूरी मिल्कियत पाने का अहम चरण है। रजिस्ट्रेशन आपको कानूनी पहचान देता है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए म्यूटेशन आवश्यक है। इसके बिना न तो आप टैक्स जमा कर सकते हैं और न ही किसी विवाद में दावा कर सकते हैं। प्रॉपर्टी खरीद की प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए म्यूटेशन को नजरअंदाज न करें।

By GyanOK

जब कोई व्यक्ति जमीन या प्रॉपर्टी खरीदता है, तो उसका पहला फोकस रजिस्‍ट्री कराने पर होता है। ऐसा माना जाता है कि एक बार रजिस्‍ट्री हो गई, तो अब प्रॉपर्टी पर पूरा हक मिल गया। लेकिन यह धारणा अधूरी है और कानून के नजरिए से देखें, तो प्रॉपर्टी खरीद की प्रक्रिया रजिस्ट्रेशन से पूरी नहीं होती। असली मालिकाना हक तभी मिलता है, जब आप उस प्रॉपर्टी का म्यूटेशन (Mutation) अपने नाम करवा लें। रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ म्यूटेशन भी उतना ही महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब आप भविष्य में किसी कानूनी विवाद से बचना चाहते हैं या प्रॉपर्टी से जुड़ी सभी सुविधाओं और अधिकारों का उपयोग करना चाहते हैं।

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सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलती प्रॉपर्टी की मिल्कियत! ये एक ज़रूरी स्टेप भूल गए तो फंस सकते हैं कानूनी झमेले में
सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलती प्रॉपर्टी की मिल्कियत!

रजिस्ट्रेशन एक्ट और रजिस्‍ट्री की प्रक्रिया

भारत में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री को रेगुलेट करने के लिए भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट लागू है। इस कानून के तहत यदि किसी प्रॉपर्टी की कीमत 100 रुपये से अधिक है और आप उसे किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर करना चाहते हैं, तो उसके लिए लिखित समझौता जरूरी है और उसे सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया को रजिस्‍ट्री कहा जाता है। रजिस्ट्रेशन के बाद कानूनी तौर पर प्रॉपर्टी के ट्रांसफर का प्रमाण मिल जाता है, लेकिन केवल यही प्रमाण पर्याप्त नहीं है।

मालिकाना हक का अहम स्टेप

प्रॉपर्टी की रजिस्‍ट्री के बाद दूसरा सबसे अहम स्टेप है – म्यूटेशन यानी नामांतरण। यह प्रक्रिया स्थानीय नगर निगम, पंचायत या राजस्व विभाग में की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य होता है – सरकारी रिकॉर्ड में नया मालिक दर्ज कराना। म्यूटेशन होने पर प्रॉपर्टी टैक्स आदि संबंधित दस्तावेजों में आपका नाम जुड़ जाता है। आमतौर पर इसे दाखिल-खारिज कहा जाता है। यह कदम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इसके बिना सरकार की नजर में आप मालिक नहीं माने जाते और इससे जुड़ी सुविधाएं जैसे बिजली कनेक्शन, जल आपूर्ति या ऋण प्राप्ति में आपको बाधा आ सकती है।

क्यों जरूरी है म्यूटेशन कराना

म्यूटेशन न कराना कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। उदाहरण के लिए, यदि पिछला मालिक किसी बैंक से उस प्रॉपर्टी पर ऋण लिया हुआ है या किसी अन्य व्यक्ति को उसी प्रॉपर्टी को बेच चुका है, तो म्यूटेशन के बिना आपके अधिकार कानूनी रूप से कमजोर हो सकते हैं। यह भी देखा गया है कि धोखाधड़ी की कई घटनाएं म्यूटेशन न कराने की वजह से सामने आती हैं। इसलिए रजिस्ट्री के साथ ही म्यूटेशन कराना आपकी सुरक्षा का दूसरा कवच है।

प्रॉपर्टी खरीद की पूरी प्रक्रिया में म्यूटेशन की भूमिका

जब भी आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो केवल रजिस्‍ट्री कराकर निश्चिंत न हो जाएं। स्थानीय प्रशासन से संपर्क कर म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू करें। इसके लिए जरूरी दस्तावेजों में सेल डीड की कॉपी, रजिस्‍ट्री की रसीद, पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ शामिल होते हैं। म्यूटेशन कराने के बाद आपके नाम पर सभी रिकॉर्ड अपडेट हो जाते हैं और भविष्य में किसी भी सरकारी या कानूनी कार्य में आपको कोई परेशानी नहीं आती।

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