
शादी के मौके पर सोने की ज्वैलरी गिफ्ट में लेना भारत में एक आम परंपरा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस गोल्ड ज्वैलरी-Gold Jewellery पर टैक्स-टैक्स (Tax on Gold Jewellery) भी देना पड़ सकता है? आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के नियमों के अनुसार, कुछ परिस्थितियों में शादी में मिले गहने टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।
शादी में मिले गोल्ड गिफ्ट पर टैक्स क्यों लगता है?
जब आपको शादी या किसी विशेष अवसर पर सोने के आभूषण, सिक्के, बुलियन या डिजिटल गोल्ड-Digital Gold जैसे उपहार मिलते हैं और उनकी कुल कीमत ₹50,000 से अधिक होती है, तो यह ‘अन्य स्रोतों से आय’ (Income from Other Sources) की श्रेणी में आता है। ऐसे में यदि यह गिफ्ट किसी ऐसे व्यक्ति से मिला है जो आपके टैक्स नियमों के अनुसार ‘रिश्तेदार’ की श्रेणी में नहीं आता, तो उस पर टैक्स बनता है।
हालांकि, टैक्स नियम कुछ रिश्तेदारों से मिले उपहारों को छूट देते हैं। इनमें जीवनसाथी (Spouse), माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, सास-ससुर शामिल हैं। इसके अलावा, वसीयत (Will) या उत्तराधिकार (Inheritance) के तहत प्राप्त गोल्ड भी टैक्स-फ्री होता है।
सोना बेचने पर टैक्स का क्या नियम है?
- यदि आपने गोल्ड खरीदा है और उसे तीन साल से पहले बेचते हैं, तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Short-Term Capital Gains Tax-STCG) लगेगा। यह टैक्स आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार तय होता है।
- वहीं तीन साल से अधिक होल्ड करने के बाद बेचने पर, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long-Term Capital Gains Tax-LTCG) 20% की दर से लगाया जाता है, जिसमें 4% का सेस भी जुड़ता है।
डिजिटल गोल्ड, ETF, म्यूचुअल फंड और SGB पर टैक्स का क्या नियम है?
डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Fund) पर भी टैक्स नियम समान हैं। यदि इन्हें तीन साल से कम समय के लिए होल्ड किया गया हो तो उस पर STCG लागू नहीं होता, लेकिन तीन साल से अधिक रखने पर 20% LTCG टैक्स देना पड़ता है।
वहीं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond-SGB) को यदि 8 वर्षों तक होल्ड किया जाए तो उस पर कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगता। हालांकि, SGB से मिलने वाला 2.5% सालाना ब्याज आपकी टैक्सेबल इनकम का हिस्सा बनता है और उस पर टैक्स देना होता है।