
भारतीय रेलवे यात्रियों को यात्रा के दौरान कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है, जिनमें AC क्लास में यात्रा करने वाले यात्रियों को विशेष रूप से कंबल, बेडशीट और तकिया उपलब्ध कराए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही आरामदायक सुविधाएं कुछ लोगों के लिए लालच का कारण बन जाती हैं? हां, हर साल हजारों की संख्या में ये सामान यात्री चुरा ले जाते हैं, जिससे रेलवे को भारी नुकसान होता है। यह केवल नैतिक गलती नहीं बल्कि एक गंभीर अपराध है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
रेलवे की कैटेगरी और यात्रियों की सुविधाएं
भारतीय रेलवे में यात्रा की विभिन्न श्रेणियां होती हैं, जो टिकट के दाम के अनुसार सुविधाएं प्रदान करती हैं। सबसे सस्ती कैटेगरी जनरल टिकट होती है, जिसमें बैठने की जगह उपलब्ध होती है। इसके बाद स्लीपर क्लास आता है, जिसमें सोने की सुविधा मिलती है। वहीं थर्ड एसी (3AC) क्लास में एयर कंडीशनिंग के साथ-साथ यात्रियों को कंबल, बेडशीट और तकिया जैसी अतिरिक्त सुविधाएं मिलती हैं, ताकि उनकी यात्रा ज्यादा आरामदायक हो। लेकिन दुर्भाग्यवश कुछ यात्री इस सुविधा का गलत फायदा उठाते हैं और यात्रा के बाद ये सामान अपने साथ घर ले जाते हैं।
चोरी के आंकड़े: कंबल और बेडशीट गायब
साल 2018 में आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय रेलवे से 2 लाख तौलिया, 81 हजार बेडशीट और 7 हजार कंबल चोरी हुए थे। ये आकंड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि यह समस्या कितनी व्यापक और गंभीर है। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि सरकारी संपत्ति की चोरी के दायरे में आता है।
रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट 1966 और सजा का प्रावधान
भारतीय रेलवे इस तरह की चोरी को रोकने के लिए ‘रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट 1966’ के तहत सख्त प्रावधान लागू करता है। इस कानून के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पहली बार इस अपराध में पकड़ा जाता है तो उसे एक साल की जेल और ₹1000 का जुर्माना हो सकता है। यदि वही व्यक्ति इस अपराध को दोबारा दोहराता है तो उसे 5 साल तक की जेल और बढ़ा हुआ जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
रेलवे को कितना होता है नुकसान
हर साल ऐसे मामलों से रेलवे को लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। साल 2017-18 में चोरी गए कंबल, बेडशीट और तकिए की लागत ही करोड़ों में पहुंच गई थी। यह नुकसान सीधे तौर पर रेलवे के खर्चे पर असर डालता है और अंततः आम जनता को इसकी भरपाई करनी पड़ती है।