
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा बार-बार वीडी सावरकर पर की जा रही टिप्पणियों को लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जिन पर आज आरोप लगा रहे हैं, उन्हीं सावरकर को उनकी दादी इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में सम्मानित किया था। गिरिराज सिंह का यह बयान सावरकर की जयंती की पूर्व संध्या पर आया, जब वह एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इंदिरा गांधी ने सावरकर को कैसे किया था सम्मानित
गिरिराज सिंह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने न केवल सावरकर की सराहना की थी, बल्कि उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था। यह कदम यह दर्शाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री सावरकर के योगदान को पहचानती थीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाना चाहिए और न ही राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सावरकर की विचारधारा और राष्ट्रवाद की परिभाषा
गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में कहा कि सावरकर केवल एक व्यक्ति नहीं थे, वे एक राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रतीक थे। उन्होंने बताया कि “देश एक भूगोल है, लेकिन राष्ट्र एक भावना है।” उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे इजरायल एक समय नक्शे से गायब हो गया था, लेकिन वहां के लोगों के दिल में राष्ट्र की भावना कभी नहीं मरी। उसी तरह भारत में भी हमें अपने राष्ट्र के लिए यह भावना जीवित रखनी चाहिए।
सावरकर की आलोचना करने वालों पर तीखा हमला
कार्यक्रम में गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि आज कुछ लोग टीवी पर आकर देश के खिलाफ बोलते हैं और सावरकर जैसे महान देशभक्त की आलोचना करते हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को “मरे हुए लोग” कहा जो देश के लिए कुछ नहीं कर सकते, बस आलोचना कर सकते हैं। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सावरकर के पदचिन्हों पर चलें और देश को कभी कमजोर न होने दें।
बीजेपी नेता सुनील देवधर का भी हमला
कार्यक्रम में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुनील देवधर ने भी राहुल गांधी की सावरकर पर टिप्पणी को लेकर कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी, बल्कि रणनीति के तहत काम किया। उन्होंने राहुल गांधी को “बेहद मूर्ख व्यक्ति” बताया और आरोप लगाया कि वे जानबूझकर झूठे दावे कर सावरकर को बदनाम कर रहे हैं।
राष्ट्र की अवधारणा पर विशेष जोर
गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा राष्ट्र को केंद्र में रखा है। उन्होंने जाति, समाज, और महिलाओं की बात की है, लेकिन इन सबके बीच राष्ट्र की चिंता को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि जातीय और सामाजिक मुद्दे जरूरी हैं, लेकिन उनसे ऊपर राष्ट्र की एकता और अखंडता है।