
iPhone का ताज अब चीन के सिर नहीं रहा, क्योंकि भारत ने पहली बार अमेरिका को iPhone के निर्यात के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। अप्रैल 2025 में भारत से अमेरिका को 3.3 मिलियन iPhones भेजे गए, जबकि चीन से यह संख्या मात्र 9 लाख रही। यह उलटफेर न केवल आंकड़ों में ऐतिहासिक है, बल्कि Apple की आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) रणनीति में भारत के बढ़ते वर्चस्व को भी दर्शाता है।
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Apple की ग्लोबल रणनीति में भारत की भूमिका
Apple ने COVID-19 महामारी के बाद अपनी सप्लाई चेन को रीडिजाइन करते हुए चीन पर निर्भरता कम करने का निर्णय लिया। इसके बाद Foxconn, Tata Electronics जैसे Apple के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स ने भारत में बड़े पैमाने पर निवेश शुरू किया। भारत में Apple का निर्माण मूल्य अब सालाना $22 बिलियन को पार कर चुका है। यह तेजी से बढ़ता उत्पादन देश को मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का हॉटस्पॉट बना रहा है, और आने वाले वर्षों में भारत चीन का बड़ा विकल्प साबित हो सकता है।
ट्रंप के टैरिफ और भारत को मिला फायदा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई। चीन से अमेरिका को आयातित iPhone पर जहां 30% टैरिफ लगाया गया, वहीं भारत से आयात पर यह दर केवल 10% है। इसका सीधा फायदा भारत को मिला। उत्पादन की लागत कम होने और टैरिफ में राहत के कारण Apple ने भारत से निर्यात को प्राथमिकता देना शुरू किया। हालांकि ट्रंप लगातार Apple को अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग लाने का दबाव दे रहे हैं, लेकिन उच्च श्रम लागत और बुनियादी ढांचे की चुनौतियों के चलते वह विकल्प फिलहाल व्यवहारिक नहीं है।
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भारत की क्षमता और भविष्य की तस्वीर
हालांकि भारत अभी पूरी तरह से अमेरिका की iPhone मांग को पूरा करने की स्थिति में नहीं है, जो कि एक तिमाही में लगभग 20 मिलियन यूनिट्स की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 तक भारत इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है। वर्तमान में भारत का उत्पादन मुख्यतः iPhone SE, iPhone 13 और कुछ हद तक iPhone 15 सीरीज तक सीमित है, लेकिन नई उत्पादन इकाइयों और टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड के साथ भारत उच्च-स्तरीय मॉडल्स के उत्पादन की ओर भी अग्रसर है।
चीन की प्रतिक्रिया और तकनीकी संघर्ष
Apple की भारत-केंद्रित रणनीति से चीन असहज नजर आ रहा है। उसने उच्च गुणवत्ता वाले निर्माण उपकरणों और इंजीनियरिंग टैलेंट के एक्सपोर्ट पर सख्ती बरती है। लेकिन Apple ने अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट इकाइयों पर काम शुरू कर दिया है। इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले समय में भारत सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग का नहीं, बल्कि इनोवेशन का भी हब बन सकता है।
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