
भारत में बढ़ते डिजिटाइजेशन से काम जितने आसान हो गए हैं, उतना ही साइबर फ्रॉड का खतरा भी तेजी से बढ़ने लगा है। आए-दिन साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। ऐसे में डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘म्यूलहंटर’ (MuleHunter) नाम का एक खास डिजिटल प्लेटफॉर्म लांच किया है।
यह प्लेटफॉर्म म्यूल खातों की पहचान कर उनपर एक्शन लेने में मदद करेगा, तो चलिए जानते हैं इस प्लेटफॉर्म की विशेषताएं और कैसे यह साइबर अपराधों को पर लगाम लगाने का काम करेगा।
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क्या है ‘म्यूलहंटर’?
बता दें, रिजर्व बैंक इनोवेशन हब की और से म्यूलहंटर नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म लांच किया गाय है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकी के सहारे काम करता है। इस प्लेटफॉर्म का मुख्य कार्य म्यूल खातों की पहचान करना है, जो आमतौर पर धोखाधड़ी के इरादे से खोले जाते हैं। साइबर ठग इनका इस्तेमाल धोकड़ी से लूटी गए रकम को कम समय में दूसरे अकाउंट में भेजने के लिए करते हैं जिससे उनकी ट्रैकिंग नहीं की जा सके।
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आरबीआई की अपील
साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए केंद्रीय बैंक से देश के सभी बैंकों से म्यूलहंटर डॉट एआई के साथ काम करने की अपील की है। इसके लिए यह बैंकों को बिलकुल निशुल्क दिया जा रहा है, इस सिस्टम के जरिए ऐसे अकॉउंटस जिनपर संदिग्ध व्यवहार नजर आता है उन्हें ट्रैक करने में मदद मिलेगी। यह सिस्टम अन्य फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम से अधिक सटीक है और इसके द्वारा दिए गए 90% अलर्ट सटीक होते हैं।
म्यूलहंटर अपने शुरूआती चरण में
म्यूलहंटर अभी केवल अपने शुरुआती चरण में है लेकिन यह धीरे-धीरे और बेहतर होता जा रहा है। वर्तमान में यह बाचत खाता कर चालू खाता दोनों तरह के खातों पर काम कर रहा है। आरबीआई का मानना है की भविष्य में इसके जरिए डिजिटल फ्रॉड पर बेहतर लगाम लगाई जा सकेगी।
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