
आज के दौर मे साइबर अपराधों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, साइबर अपराधी टेकनोलॉजी के मामले मे इतने माहिर हो गए हैं की वह बिना ओटीपी और लिंक के भी लोगों के बैंक अकाउंट खाली कर रहे हैं। जी हाँ, जहां पहले साइबर अपराध से जुड़े ऐसे कई मामले सामने आ रहे थे, जिनमें लोगों के बैंक अकाउंट ओटीपी देने या किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने की वजह से खाली हो रहे थे। वहीं अब प्रयागराज से बीते कुछ दिन पहले एक ऐसा मामला सामने आया जिसमे पीड़ितों के खाते से पैसे गायब होने का पता उन्हे तब तक नहीं चला जब तक उन्होंने अपना बैलेंस चेक नहीं किया।
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क्या रहा साइबर ठगी से जुड़ा मामला
बता दें, प्रयागराज से जुड़े साइबर ठगी के मामले में एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन घटनाओं मे पीड़ितों ने ना किसी अनजान लिंक पर क्लिक किया और ना ही उन्होंने किसी से ओटीपी या अपनी बैंकिंग जानकारी साझा की हालांकि इसके बाद भी उनके खाते से बड़ी रकम गायब हो गई। यह नया मामला एक साइलेंट फ्रॉड की तरह है जहां यूजर को भनक लगे बिना ही उनका अकाउंट खाली हो गया। जो अब साइबर पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
इन मामलों में प्रयागराज के कर्नलगंज मे रहने वाले अरुण कुमार को अपने पासबुक अपडेट करवाने पर पता चला की उनके अकाउंट से करीब ढाई लाख रुपये दो बार मे कट गए। वहीं कालिंदीपुरम से अशोक कुमार सिंह के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ, जब उनके खाते से 2.43 लाख रुपये गायब हो गए जिसका उन्हे कोई मैसेज नहीं मिला। ऐसे कुल 11 मामले एक हफ्ते मे सामने आने के बाद से प्रदेश के लोगों मे डर का माहोल बना हुआ है।
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साइबर ठगी के प्रमुख कारण
साइबर ठगी के बढ़ते मामलों की मुख्य वजह लोगों मे जानकारी का आभाव है, क्योंकि इस तरह की धोखाधड़ी में अपराधी गूगल प्ले स्टोर पर असली जैसे दिखने वाले फर्जी ऐप्स की मदद लेते हैं। इन ऐप्स को डाउनलोड करते ही यूजर के फोन मे साइलेंट मैलवेयर घुस जाता है, जिसके बाद साइबर अपराधी सिम क्लोनिंग, नेटवर्क हैकिंग और पब्लिक वाई-फाई की मदद से लोगों की बैंकिंग डिटेल्स चुरा लेते हैं, जिससे यूजर को बड़ा नुकसान हो जाता है।
जरूर बरतें ये सावधानियाँ
- साइबर ठगी से बचने के लिए यह जरूरी है की यूजर अपने फोन जो मुख्य रूप से बैंकिंग से लिंक हैं, उनमे केवल जरूरी और आधिकारिक ऐप्स ही रखें।
- इसके अलावा फर्जी ऐप्स या सावजनिक वाई-फाई कनेक्ट करने से बचें।
- अपना यूपीआई, ओटीपी या पिन किसी से भी साझा ना करें।
- अगर आपके साथ फिर भी किसी तरह का साइबर फ्रॉड होता है तो इसकी शिकायत 1930 पर कॉल करके या cybercrime.gov.in पर दर्ज कर सकते हैं।
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