सट्टेबाजी ऐप्स पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती! केंद्र सरकार से मांगा जवाब, बंद हो सकते हैं Dream11, My11circle जैसे एप

सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी ऐप्स पर नियंत्रण की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में बच्चों की आत्महत्याओं और सेलिब्रिटीज़ द्वारा प्रमोशन को जिम्मेदार ठहराया गया है। यह मुद्दा केवल कानून नहीं, सामाजिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा है।

By GyanOK

सट्टेबाजी ऐप्स पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती! केंद्र सरकार से मांगा जवाब, बंद हो सकते हैं Dream11, My11circle जैसे एप
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जिसमें देशभर में बढ़ते ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी एप्लिकेशनों को रेग्युलेट करने की माँग की गई है। यह याचिका के. ए. पॉल द्वारा दाखिल की गई, जिन्होंने दावा किया कि सट्टेबाजी से जुड़े एप्स मासूम बच्चों के जीवन के लिए खतरा बन चुके हैं, और कई बच्चों ने इनकी लत के चलते आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया है।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि कई मशहूर ऑनलाइन इन्फ्लुएंसर, अभिनेता और क्रिकेट खिलाड़ी इन ऐप्स का प्रचार कर रहे हैं, जिससे युवाओं विशेषकर बच्चों में सट्टेबाजी की लत लग रही है। के. ए. पॉल ने अदालत के समक्ष कहा, “मैं उन लाखों माता-पिता की ओर से यह याचिका लाया हूँ, जिन्होंने अपने बच्चों को इन खतरनाक ऐप्स के कारण खोया है।”

तेलंगाना में 1023 आत्महत्याओं का आरोप

याचिका में चौंकाने वाला दावा किया गया कि केवल तेलंगाना राज्य में ही 1,023 से अधिक लोगों ने आत्महत्या कर ली, और इसका सीधा संबंध उन 25 बॉलीवुड और टॉलीवुड सितारों से जोड़ा गया है जिन्होंने इन सट्टेबाजी ऐप्स का प्रमोशन किया था। पॉल ने अदालत को बताया कि राज्य में कई प्रभावशाली लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

सामाजिक विकृति और कानूनी सीमाएं

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने माना कि ऑनलाइन सट्टेबाजी एक गंभीर सामाजिक विकृति है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम सैद्धांतिक रूप से इस बात से सहमत हैं कि इसे रोका जाना चाहिए। लेकिन यह सोचना कि कानून बनाकर इसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है, एक भ्रम हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि जैसे कोई कानून हत्या की घटनाओं को पूरी तरह नहीं रोक सकता, वैसे ही केवल कानून से ऑनलाइन सट्टेबाजी को भी नहीं रोका जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की भूमिका और सक्रियता की समीक्षा जरूरी है, इसलिए इस विषय पर भारत सरकार को नोटिस जारी कर दिया गया है।

सरकारी हस्तक्षेप और संभावित कदम

इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, कोर्ट ने भारत के अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या कदम उठाती है — क्या एक नया कानून आएगा जो Online Betting Apps और Offline सट्टेबाजी गतिविधियों को नियंत्रित करेगा, या मौजूदा कानूनों के तहत ही सख्त कार्रवाई की जाएगी?

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