भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर सख्त नजर आ रहा है और इस बार निशाने पर है दुनिया का जाना-माना विदेशी बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड. खबर है कि बैंक ने छोटे और मझोले कारोबारियों (SMEs) को ऐसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स बेचे जो उनके लिए न तो जरूरी थे और न ही सुरक्षित. इन प्रोडक्ट्स में Target Redemption Forwards (TRFs) जैसे जटिल डेरिवेटिव शामिल हैं.

बिना पूरी जानकारी के बेचे गए जोखिम भरे प्रोडक्ट्स
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक ने TRFs जैसे प्रोडक्ट्स बेचते समय ग्राहकों को उनके जोखिम के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी. ये प्रोडक्ट आम तौर पर बड़ी कंपनियों के लिए बनाए जाते हैं, जिनके पास जोखिम को समझने और उसे झेलने की क्षमता होती है.
अब RBI इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रहा है. माना जा रहा है कि अगर बैंक की गलती साबित हुई तो इस पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है.
किन पहलुओं की हो रही जांच?
RBI की जांच चार मुख्य बिंदुओं पर केंद्रित है:
- क्या डेरिवेटिव बेचते वक्त बैंक ने पूरी पारदर्शिता बरती?
- जोखिम प्रबंधन को लेकर बैंक की नीति क्या थी?
- रिजर्व नियमों का पालन हुआ या नहीं?
- Forward Rate Agreement (FRA) जैसे लेनदेन का रिकॉर्ड कैसे रखा गया?
स्टैंडर्ड चार्टर्ड की सफाई
बैंक ने इस मामले पर कहा है कि RBI का यह निरीक्षण सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और हर साल ऐसा होता है. हालांकि जानकारों का कहना है कि जांच की तीव्रता और विस्तार से साफ है कि मामला गंभीर है. बैंक को अपनी कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव करने पड़ सकते हैं.
भारत में स्टैंडर्ड चार्टर्ड की मौजूदगी
बैंक भारत में 165 साल से सक्रिय है और देश भर में इसके 100 से ज्यादा ब्रांच हैं. बैंक का कारोबार मुख्य रूप से कॉर्पोरेट बैंकिंग, रिटेल बैंकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट पर केंद्रित है. लेकिन अब इस विवाद का असर उसकी साख पर पड़ सकता है.
क्यों सख्त हो रहा है RBI?
छोटे कारोबारियों की सुरक्षा को लेकर RBI अब ज्यादा सतर्क है. डेरिवेटिव जैसे उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता और ईमानदारी अनिवार्य है. इससे पहले भी कुछ बैंकों पर अनियमितताओं के चलते कार्रवाई हो चुकी है और अब स्टैंडर्ड चार्टर्ड की बारी लग रही है.