Shani Jayanti 2025: जानिए इस बार शनि देव की खास जयंती कब और कैसे मनाएं!

शनि जयंती 2025: जानिए कब है ये खास दिन और कैसे मिलेगी शनि देव की कृपा! इस बार ग्रहों की दुर्लभ युति से बनेगा आपका भाग्य, जाने पूजा की सही विधि और दान का तरीका जिससे मिटेंगे सभी शनि दोष और जीवन में आएंगे खुशहाली के नए रंग!

By GyanOK

Shani Jayanti 2025 इस बार 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी। यह दिन ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर पड़ता है, जिसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। शनि देव का जन्म इसी दिन हुआ था इसलिए यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। शनि देव न्याय और कर्म के देवता हैं, जो हमें हमारे कर्मों का फल देते हैं। शनि दोष, साढ़ेसाती या महादशा से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन राहत लेकर आता है क्योंकि इस दिन की पूजा से शनि देव की कृपा मिलती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता आती है।

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शनि देव का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व

शनि जयंती का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि शनि देव को ग्रहों में न्यायाधीश माना जाता है। उनके क्रोध या प्रसन्नता से व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल या सफलता दोनों हो सकती है। इसीलिए शनि जयंती पर उनकी पूजा और व्रत करना अत्यंत फलदायी होता है। इस बार 2025 में शनि, शुक्र और नेपच्यून की मीन राशि में दुर्लभ युति बन रही है, जो मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उपयुक्त मानी जा रही है। ग्रहों की यह युति शनि देव की पूजा को और भी प्रभावशाली बना देती है।

शनि जयंती की पूजा विधि

शनि जयंती की पूजा विधि भी बहुत खास होती है। प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनकर शनि देव की प्रतिमा या चित्र का स्थापना उत्तर या पश्चिम दिशा में किया जाता है। सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसमें काले तिल डाले जाते हैं। पूजा के दौरान “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप किया जाता है। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ भी अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि हनुमान जी शनि देव के क्रोध को शांत करते हैं। इस दिन काले तिल, सरसों का तेल, काले वस्त्र, काले उरद की दाल, जूते-चप्पल जैसे वस्तुओं का दान करना शुभ होता है। यदि संभव हो तो उपवास रखकर पूरे दिन शांति से पूजा करना और शनि देव को प्रसन्न करना चाहिए।

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शनि मंदिर और विशेष आयोजन

दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में शनि जयंती के अवसर पर शनि मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। दिल्ली के द्वारका, वजीरपुर, शाहदरा और करोल बाग जैसे इलाकों के शनि मंदिरों में भारी भीड़ रहती है। लोग यहां आकर शनि देव के लिए तेल का दीपक जलाते हैं और दान करते हैं। पूजा के बाद लोगों को शांति और जीवन में सकारात्मक बदलाव का अनुभव होता है।

शनि जयंती का आध्यात्मिक संदेश

शनि जयंती का दिन हमारे कर्मों के मूल्यांकन का भी प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे अच्छे या बुरे कर्मों का फल हमें अवश्य मिलता है। इसलिए शनि देव की पूजा से न केवल शनि दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह हमारे जीवन को सुधारने और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस दिन की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि ग्रहों की दुर्लभ युति से शनि देव की कृपा अधिक फलदायी होती है।

शनि जयंती के दिन के उपाय और दान

शनि जयंती के दिन विशेष पूजा और दान से जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और भविष्य के लिए शुभ संकेत मिलते हैं। शनि दोष या साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन किए गए उपायों से ग्रहों की नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं। यह दिन मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक स्थिरता के लिए भी उत्तम माना जाता है।

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