
Masik Krishna Janmashtami 2025 की तिथि और पूजा मुहूर्त को लेकर भक्तों में विशेष उत्सुकता है। हर महीने की तरह, इस बार भी मासिक जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और उपासना के लिए एक पवित्र अवसर है, जो विशेष रूप से व्रत, पूजा और रात्रि जागरण के लिए जाना जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ मास की मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 20 मई 2025 को मनाई जाएगी, जो कि मंगलवार का दिन है।
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व्रत की तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष अष्टमी तिथि का आरंभ 20 मई 2025 को प्रातः 5:51 बजे होगा और इसका समापन 21 मई 2025 को प्रातः 4:55 बजे पर होगा। इस अवधि के भीतर, जो भक्त रात्रि पूजन करना चाहते हैं उनके लिए श्रेष्ठ मुहूर्त 20 मई की रात 11:57 बजे से लेकर 21 मई की रात 12:38 बजे तक है। इस समय के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का पूजन, मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन तथा शुद्ध सात्विक प्रसाद का भोग लगाना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
व्रत और पूजा की विधि
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और दिनभर श्रीकृष्ण के नाम का जाप करते हैं। रात्रि में जब अष्टमी तिथि चरम पर होती है, तब श्रीकृष्ण जन्म की विशेष आरती की जाती है और बाल गोपाल को झूला झुलाया जाता है। इस दिन श्रीमद्भागवद गीता का पाठ, श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का स्मरण और तुलसी के पत्तों से सजाई गई थाली में नैवेद्य अर्पित करना भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
व्रत का आध्यात्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि यह व्रत मोक्ष का भी मार्ग प्रशस्त करता है। यह दिन उन लोगों के लिए भी विशेष होता है जो मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति करना चाहते हैं। व्रत करने से आत्मसंयम, भक्ति, और विश्वास के साथ जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।
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मासिक जन्माष्टमी की निरंतरता और विशेषता
मासिक जन्माष्टमी भले ही वर्ष में कई बार आती हो, लेकिन हर बार इसकी महत्ता वैसी ही बनी रहती है जैसी भाद्रपद माह की मुख्य जन्माष्टमी की होती है। भक्तगण इस अवसर को आत्मिक बल और भगवान के प्रति समर्पण भाव को मजबूत करने के रूप में देखते हैं। जो भक्त नियमित रूप से यह व्रत करते हैं, उन्हें श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में आस्था, श्रद्धा और दिव्यता का संचार होता है।
पूजन सामग्री और तैयारी
पूजा सामग्री की बात करें तो इस दिन तुलसी पत्र, मक्खन, मिश्री, गाय का दूध, पंचामृत, फल, फूल और पीले वस्त्र का विशेष महत्व होता है। जो भक्त अपने घर में पूजन करते हैं, उन्हें श्रीकृष्ण की प्रतिमा या बाल गोपाल की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए और दीप जलाकर मंत्रोच्चारण के साथ पूजा करनी चाहिए।
भक्तों के लिए एक विशेष अवसर
यह पर्व उन भक्तों के लिए भी विशेष है जो वर्षभर अपने कार्यों में व्यस्त रहते हुए हर महीने कम से कम एक दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित करते हैं। इस दिन की गई प्रार्थना, साधना और सेवा का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है।
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