
जून की मासिक शिवरात्रि-Maasik Shivratri 2025 इस बार 23 जून को आ रही है, जो सोमवार के दिन पड़ रही है। इस खास दिन को भगवान शिव के भक्त बड़े श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन आषाढ़ मास की यह शिवरात्रि विशेष मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं और जीवन में चल रही सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
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आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि का महत्व
माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। विशेष रूप से आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि-2025 का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह वर्षा ऋतु की शुरुआत में आती है और इस समय की गई तपस्या और आराधना अत्यधिक फलदायी होती है। यह दिन उन लोगों के लिए बहुत ही शुभ है जो संतान सुख, विवाह में सफलता, नौकरी में तरक्की या जीवन में शांति और समृद्धि की इच्छा रखते हैं।
शुभ मुहूर्त: कब करें पूजा?
23 जून को मासिक शिवरात्रि के दिन निशीथ काल में पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। इस बार निशीथ काल रात 12:03 AM से 12:44 AM तक रहेगा। इस दौरान शिवलिंग का जल, दूध, शहद और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। पूजा में शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और “ॐ नमः शिवाय” का जाप करना विशेष फलदायी होता है। शिव मंदिरों में इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और हर तरफ ‘हर हर महादेव’ की गूंज सुनाई देती है।
मासिक शिवरात्रि व्रत कैसे करें?
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत किया जाता है और रात के समय निशीथ काल में विशेष पूजा होती है। इस व्रत में शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भस्म और चंदन अर्पित करने से विशेष पुण्य मिलता है। पूजा के बाद गरीबों को अन्न, वस्त्र या जल का दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
किन लोगों को करना चाहिए यह व्रत?
शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि का व्रत विशेष रूप से उन जातकों के लिए फलदायी है जो शनि दोष, राहु-केतु के प्रभाव, कालसर्प दोष, विवाह में विलंब, संतान प्राप्ति में बाधा या जीवन में निरंतर असफलता से पीड़ित हैं। ऐसी परिस्थितियों में मासिक शिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव से कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति देता है बल्कि मानसिक तनाव और आर्थिक परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है।
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पूजा में क्या न करें?
शिव पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। शिवलिंग पर तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि यह निषिद्ध है। इसके अलावा हल्दी और नारियल भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाए जाते। पूजा करते समय पूर्ण श्रद्धा और मन की शुद्धता बनाए रखना चाहिए। मन में किसी के प्रति द्वेष या नकारात्मक भावना नहीं होनी चाहिए। भगवान शिव सरलता और सच्चाई के देवता हैं और सच्चे मन से की गई प्रार्थना को तुरंत स्वीकार करते हैं।
शिव कृपा पाने के खास उपाय
मासिक शिवरात्रि पर विशेष उपाय करने से जीवन की कई बाधाएं दूर हो सकती हैं। जैसे यदि विवाह में देरी हो रही है तो शिव-पार्वती की युगल मूर्ति का पूजन करना चाहिए। अगर आर्थिक संकट है तो शिवलिंग पर शहद और चावल अर्पित करें और “ॐ नमः शिवाय” का जाप कम से कम 108 बार करें। संतान प्राप्ति की इच्छा हो तो “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करें और रुद्राभिषेक करवाएं। इसके अलावा, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी इस दिन अत्यंत फलदायक माना गया है।
मासिक शिवरात्रि की प्रासंगिकता
आज के युग में भी मासिक शिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बरकरार है। भले ही तकनीक और आधुनिकता ने जीवन की दिशा बदल दी हो, लेकिन शिवभक्ति का मार्ग अब भी लोगों के लिए शांति और समाधान का एक महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है। कई युवा भी आज व्रत और पूजा में रुचि ले रहे हैं और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर रहे हैं।
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