Apara Ekadashi 2025 Date: 22 या 23 मई… अपरा एकादशी का व्रत कब है? एक क्लिक में दूर करें कंफ्यूजन!

शुभ फल पाने के लिए सही तिथि पर व्रत करना जरूरी है। कहीं आप भी 22 मई को व्रत रखने की सोच तो नहीं रहे? जानिए क्यों 23 मई को ही मान्य है अपरा एकादशी का व्रत, और बचें पाप से पुण्य की ओर बढ़ने से पहले की गलती से।

By GyanOK

अपरा एकादशी 2025 की तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम बना हुआ है कि यह व्रत 22 मई को रखा जाएगा या 23 मई को। पंचांग के अनुसार इस वर्ष अपरा एकादशी का व्रत 23 मई 2025, शुक्रवार को रखा जाएगा। यह निर्णय उदया तिथि के आधार पर लिया गया है, जो हिंदू धर्म में सबसे अधिक मान्य मानी जाती है। दरअसल, एकादशी तिथि की शुरुआत 22 मई को दोपहर 12:42 बजे से हो रही है और यह तिथि 23 मई को सुबह 9:59 बजे तक रहेगी। चूंकि व्रत उदया तिथि पर ही रखा जाता है, इसलिए अपरा एकादशी 23 मई को मानी जाएगी।

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धार्मिक महत्व और परंपरा

अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और इसका विशेष महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मशुद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन किया गया दान-पुण्य अक्षय फल देता है। खास बात यह है कि अपरा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक रूप से बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है।

शुभ योग और ग्रहों की चाल

2025 में अपरा एकादशी पर विशेष योग भी बन रहे हैं जो इसे और भी शुभ बना रहे हैं। इस दिन आयुष्मान योग और प्रीति योग का संयोग है, जो किसी भी शुभ कार्य को सिद्धि प्रदान करने वाले माने जाते हैं। साथ ही इस दिन बुध ग्रह का वृषभ राशि में प्रवेश होगा, जिससे बुधादित्य योग बन रहा है। यह योग धन, बुद्धि और संवाद में लाभ देता है। इसलिए इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

व्रत और पूजन विधि

व्रत रखने की विधि भी परंपरागत रूप से तय की गई है। व्रतधारी को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। धूप, दीप, चंदन, पुष्प और तुलसी पत्र से भगवान की आराधना की जाती है। इसके साथ ही “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इस दिन अपरा एकादशी व्रत कथा का पाठ भी अनिवार्य होता है। व्रत का पारण यानी व्रत खोलना 24 मई को सुबह 5:26 से 8:11 बजे के बीच करना उत्तम माना गया है क्योंकि द्वादशी तिथि उस दिन शाम 7:20 बजे तक रहेगी।

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व्रत का लाभ और धार्मिक फल

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अपरा एकादशी व्रत करने से जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त होते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को वह पुण्य मिलता है जो अश्वमेध यज्ञ, गौदान, ब्राह्मण भोजन, स्वर्णदान आदि से मिलता है। इसलिए इसे ‘अपार फल देने वाली एकादशी’ भी कहा जाता है। यही कारण है कि इस दिन व्रत और दान का विशेष महत्व बताया गया है।

तिथि भ्रम से बचने की सलाह

समाज में व्याप्त मतभेदों को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि लोग पंचांग और आधिकारिक स्रोतों से ही तिथि की जानकारी प्राप्त करें। कई बार सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से भ्रम फैल जाता है, जिससे लोग व्रत गलत तिथि पर रख देते हैं। इसीलिए यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि 2025 में अपरा एकादशी 23 मई को ही रखी जाएगी, ताकि धार्मिक परंपरा सही तरीके से निभाई जा सके।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष दिन

इस व्रत को करने के पीछे आत्मिक शुद्धि और कर्म सुधार का उद्देश्य जुड़ा होता है। यदि आप भी जीवन में आध्यात्मिक उन्नति, पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की कामना रखते हैं तो अपरा एकादशी का व्रत नियमपूर्वक करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।

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