
कोटेदार जिसे फेयर प्राइस शॉप डीलर (FPS Dealer) या राशन डीलर भी कहा जाता है, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Public Distribution System – PDS) का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होता है। इनका कार्य होता है सरकार द्वारा सब्सिडी पर दी जाने वाली आवश्यक खाद्य सामग्री जैसे – गेहूं, चावल, चीनी और मिट्टी का तेल गरीब और पात्र लोगों तक पहुंचाना। यह लेख आपको कोटेदार बनने की पात्रता, प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेज, लाभ और अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारियों के बारे में गहराई से जानकारी देगा।
कोटेदार बनने के लिए पात्रता क्या होनी चाहिए?
एक योग्य कोटेदार बनने के लिए सबसे पहले भारत का नागरिक होना आवश्यक है। न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष निर्धारित की गई है, हालांकि कुछ राज्यों में यह 21 वर्ष हो सकती है। वहीं अधिकतम आयु सीमा आमतौर पर 60 वर्ष तक होती है, जो राज्य सरकार के नियमों पर निर्भर करती है।
शैक्षणिक योग्यता के रूप में कम से कम 10वीं पास होना अनिवार्य है। हालांकि कुछ राज्यों और शहरी क्षेत्रों में यह मापदंड 12वीं या स्नातक तक बढ़ सकता है। इसके अलावा, आवेदक को उस क्षेत्र का स्थायी निवासी होना चाहिए जहां वह दुकान खोलना चाहता है। चरित्र प्रमाण पत्र (Police Verification) देना भी जरूरी होता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आवेदक का कोई आपराधिक रिकॉर्ड न हो। आर्थिक रूप से सक्षम होना भी अनिवार्य है। बैंक खाते में ₹50,000 से ₹1,00,000 तक की राशि और दुकान के लिए पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
दुकान के स्थान और संरचना से जुड़ी मुख्य बातें
दुकान का स्थान ऐसा होना चाहिए जहां से अधिकतर लाभार्थी आसानी से पहुंच सकें। इसके सामने की सड़क कम से कम 15 फीट चौड़ी होनी चाहिए। दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 5 मीटर x 3 मीटर होना चाहिए और वह पक्की इमारत में स्थित होनी चाहिए। साथ ही उसमें पर्याप्त भंडारण क्षमता भी होनी चाहिए।
आवश्यक दस्तावेज (Required Documents)
- कोटेदार बनने के लिए निम्न दस्तावेज अनिवार्य हैं:
- आधार कार्ड
- मतदाता पहचान पत्र (Voter ID)
- निवास प्रमाण पत्र
- शैक्षणिक प्रमाण पत्र
- चरित्र प्रमाण पत्र
- बैंक पासबुक या स्टेटमेंट
- दुकान के मालिकाना या किराया पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो और राजस्व प्रमाण पत्र
कैसे बनें कोटेदार?
ग्रामीण क्षेत्र
ग्रामीण क्षेत्रों में कोटेदार बनने की प्रक्रिया ग्रामसभा प्रस्ताव से शुरू होती है, जिसमें पंचायत द्वारा यह तय किया जाता है कि किसी क्षेत्र में नई राशन दुकान की आवश्यकता है। इसके बाद विज्ञापन दिया जाता है और इच्छुक व्यक्ति आवेदन करते हैं। आवेदन की जांच तहसील, खाद्य निरीक्षक और आपूर्ति निरीक्षक द्वारा की जाती है। पात्र पाए जाने पर जिला अधिकारी (DM) की सिफारिश पर लाइसेंस जारी किया जाता है।
शहरी क्षेत्र
शहरी क्षेत्रों में यह प्रक्रिया अधिकतर ऑनलाइन पोर्टल जैसे UP Ration Dealer Portal के माध्यम से होती है। जब नए डीलरों की आवश्यकता होती है, तब विभाग अधिसूचना जारी करता है। इच्छुक उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन करते हैं और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करते हैं। इसके बाद संबंधित अधिकारी दस्तावेज और स्थल की जांच करते हैं और योग्य पाए गए आवेदक को प्रशिक्षण एवं सुरक्षा जमा राशि के बाद लाइसेंस प्रदान कर दिया जाता है।
कमाई और लाभ (Earning Potential)
कोटेदार को लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरित करने पर प्रति कार्ड 2 से 5 रुपये का कमीशन मिलता है। यदि किसी क्षेत्र में लाभार्थियों की संख्या अधिक है, तो मासिक आय ₹10,000 से ₹25,000 तक हो सकती है। यह आय डीलर की ईमानदारी और वितरण क्षमता पर भी निर्भर करती है।