Password Vs PassKey: पासवर्ड से ज्यादा सिक्योर है पासकी! किसी भी अकाउंट के लिए ऐसे बनाएं पासकी

आजकल की डिजिटल दुनिया में लगभग हर व्यक्ति के पास एक से ज्यादा ऑनलाइन अकाउंट होते है, जिनकी सुरक्षा सबसे अहम होती है, लंबे समय से इन एकाउंट्स की सुरक्षा का जिम्मा पासवर्ड पर रहा है, लेकिन अब टेक्नोलॉजी में बदलाव आया है

By Pinki Negi

Password Vs PassKey: पासवर्ड से ज्यादा सिक्योर है पासकी! किसी भी अकाउंट के लिए ऐसे बनाएं पासकी
Password Vs PassKey: पासवर्ड से ज्यादा सिक्योर है पासकी! किसी भी अकाउंट के लिए ऐसे बनाएं पासकी

आजकल की डिजिटल दुनिया में लगभग हर व्यक्ति के पास एक से ज्यादा ऑनलाइन अकाउंट होते है, जिनकी सुरक्षा सबसे अहम होती है, लंबे समय से इन एकाउंट्स की सुरक्षा का जिम्मा पासवर्ड पर रहा है, लेकिन अब टेक्नोलॉजी में बदलाव आया है, और पासकी एक नया और ज्यादा सुरक्षित विकल्प बनकर सामने आया है।

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अब पुराना हो गया पासवर्ड

पासवर्ड एक ऐसा सीक्रेट कोड होता है, जिसे हम अकाउंट बनाते समय तय करते है, हम चाहें तो इसे हम शब्दों अंकों और चिन्हों के तौर पर रख सकते है, और रखते भी है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है, की यह आसानी से हैक या चोरी हो सकता है, खासकर तब जब कोई कमजोर या दोहराया गया पासवर्ड हम इस्तेमाल करते है, यूजर्स को हर प्लेटफॉर्म के लिए अलग -अलग पासवर्ड याद रखना पड़ता है, जो कठिन होता है, साथ ही फिशिंग अटैक्स और डेटा लीक जैसी घटनाएं पासवर्ड सुरक्षा को और भी जोखिम भरा बना देती है।

क्या है पासकी

पासकी एक नया लॉगिन सिस्टम है, जो पासवर्ड की जरूरत को पूरी तरह खत्म कर देता है, यह डिवाइस बेस्ड ऑथेंटिकेशन पर काम करता है, जिसमें यूजर डिवाइस जैसे मोबाइल या लैपटॉप पर फिंगरप्रिंट फेस ID या पिन से लॉगिन वेरिफाई किया जा सकता है, पासकी सिस्टम पब्लिक और प्राइवेट Key पर आधारित होता है, यहां प्राइवेट Key सिर्फ आपके डिवाइस में रहती है, और कभी भी शेयर नहीं होती है, जिससे पासकी फिशिंग या डेटा चोरी से पूरी तरह सुरक्षित रहती है, और साथ ही यह लॉगिन प्रोसेस तेज, आसान और फुलप्रूफ है, क्यूंकि इसमें न तो, कुछ याद रखने की जरुरत है, और न किसी प्रकार का रिस्क रहता है, की किसी को पासकी मिल जाएगी।

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कौन है ज्यादा सुरक्षित और आसान

पासकी

सुरक्षा के लिहाज से पासकी, पासवर्ड से कहीं ज्यादा सिक्योर है, यह फिशिंग जैसे साइबर हमलों से सुरक्षित रहती है, क्यूंकि इसमें यूजर की जानकारी कभी भी सर्वर पर नहीं जाती है, लॉगिन के लिए पासकी केवल उस डिवाइस पर काम करती है, जिस पर वह रजिस्टर्ड होती है, इसीलिए किसी और के हाथ लगने का सवाल ही नहीं उठता।

पासवर्ड

अगर पासवर्ड को आप मजबूत भी बनाएं, फिर भी यह फिशिंग और हैकिंग के खतरे से पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता, पासवर्ड को बार -बार बदलना, याद रखना और हर प्लेटफॉर्म पर अलग -अलग सेट करना एक तरह की परेशानी बन जाता है।

Author
Pinki Negi
GyanOK में पिंकी नेगी बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत हैं। पत्रकारिता में उन्हें 7 वर्षों से भी ज़्यादा का अनुभव है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 2018 में NVSHQ से की थी, जहाँ उन्होंने शुरुआत में एजुकेशन डेस्क संभाला। इस दौरान पत्रकारिता के क्षेत्र में नए-नए अनुभव लेने के बाद अमर उजाला में अपनी सेवाएं दी। बाद में, वे नेशनल ब्यूरो से जुड़ गईं और संसद से लेकर राजनीति और डिफेंस जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्टिंग की। पिंकी नेगी ने साल 2024 में GyanOK जॉइन किया और तब से GyanOK टीम का हिस्सा हैं।

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