
मैरिज सर्टिफिकेट (Marriage Certificate) एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जो दो व्यक्तियों की वैध शादी का प्रमाण देता है। यह प्रमाण पत्र भारत सरकार द्वारा विवाह के पंजीकरण के बाद जारी किया जाता है। आज के समय में यह दस्तावेज़ केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं में बेहद जरूरी बन चुका है। बैंकिंग से लेकर वीज़ा अप्लिकेशन, सरकारी योजनाओं से लेकर कानूनी मामलों तक, मैरिज सर्टिफिकेट की उपयोगिता हर जगह दिखाई देती है।
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कानूनी मान्यता और अधिकारों की सुरक्षा
मैरिज सर्टिफिकेट पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों को कानूनी मान्यता देता है। यह दस्तावेज़ सुनिश्चित करता है कि विवाह सरकार द्वारा स्वीकार्य है और दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित हैं। तलाक, संपत्ति विवाद या घरेलू हिंसा जैसे मामलों में यह दस्तावेज़ एक कानूनी आधार बनता है जिससे पति-पत्नी दोनों को न्यायिक संरक्षण मिलता है।
पासपोर्ट और वीज़ा के लिए अनिवार्य
अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ विदेश यात्रा या स्थायी निवास (Permanent Residency) की योजना बना रहे हैं तो मैरिज सर्टिफिकेट बेहद जरूरी है। कई देशों की वीज़ा नीतियों में यह अनिवार्य दस्तावेज़ होता है जिससे यह पुष्टि होती है कि दोनों व्यक्ति वैध रूप से विवाहित हैं। विदेश में सेटलमेंट या फैमिली वीज़ा के लिए यह मुख्य दस्तावेज़ों में गिना जाता है।
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सरकारी योजनाओं और बेनिफिट्स में मददगार
भारत सरकार और राज्य सरकारें समय-समय पर विवाहित जोड़ों के लिए अनेक योजनाएं संचालित करती हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य होता है। जैसे कि विधवा पेंशन योजना, पारिवारिक पेंशन, आयुष्मान भारत योजना जैसी योजनाओं में पात्रता सिद्ध करने के लिए यह प्रमाणपत्र जरूरी होता है।
बैंकिंग और इंश्योरेंस क्लेम में उपयोगी
बैंक अकाउंट, नॉमिनी अपडेट, ज्वाइंट अकाउंट खोलने या इंश्योरेंस क्लेम लेने जैसी वित्तीय प्रक्रियाओं में मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। अगर पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाए तो बीमा राशि का दावा करने के लिए यह दस्तावेज़ साबित करता है कि आप विधिवत रूप से उनके जीवनसाथी हैं।
नाम परिवर्तन और पासपोर्ट अपडेट में सहायक
शादी के बाद कई महिलाएं अपने पति का सरनेम अपनाती हैं या अपना नाम बदलवाती हैं। इसके लिए विभिन्न सरकारी दस्तावेजों में नाम परिवर्तन करवाना होता है जिसमें मैरिज सर्टिफिकेट सहायक होता है। पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि में नाम अपडेट कराने के लिए इसे आवश्यक दस्तावेज़ों में शामिल किया गया है।
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मैरिज सर्टिफिकेट कहां-कहां आता है काम
- अदालतों में तलाक या अन्य कानूनी विवादों में साक्ष्य के रूप में
- पति या पत्नी के निधन के बाद उत्तराधिकार में संपत्ति के अधिकार की पुष्टि
- नाम और पते से जुड़ी सरकारी पहचान में बदलाव के लिए
- स्कूल में बच्चे के दाखिले के समय माता-पिता के रिश्ते की पुष्टि के लिए
- अंतर-धार्मिक या अंतर-जातीय विवाह की कानूनी मान्यता के लिए
- विदेश यात्रा के दौरान फैमिली वीज़ा, स्पॉउस वीज़ा के लिए
- पेंशन, पीएफ और अन्य सरकारी सुविधाओं के लिए
मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने की प्रक्रिया
भारत में मैरिज सर्टिफिकेट दो मुख्य कानूनों के तहत जारी किया जाता है—हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और स्पेशल मैरिज एक्ट 1954। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत केवल हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग आते हैं जबकि स्पेशल मैरिज एक्ट सभी धर्मों के लिए है। विवाह पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों की सहमति, दो गवाह, एड्रेस प्रूफ, उम्र प्रमाण पत्र और शादी की तस्वीरें अनिवार्य होती हैं।
ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध है, जिसमें राज्य की वेबसाइट पर जाकर फॉर्म भरना होता है और निर्धारित समय पर संबंधित उप-रजिस्ट्रार ऑफिस में दस्तावेजों के सत्यापन के लिए जाना होता है।
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मैरिज सर्टिफिकेट से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
- इसे शादी के 30 दिन के अंदर बनवाना बेहतर होता है।
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह की घोषणा 30 दिन पहले करनी होती है।
- यह प्रमाणपत्र आजीवन मान्य होता है।
- मैरिज सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन किया जा सकता है।