
आयुर्वेद की गहराइयों में छिपा एक ऐसा नायाब खजाना है जिसे दशमूल के नाम से जाना जाता है। यह सिर्फ एक औषधि नहीं, बल्कि शरीर को संपूर्ण रूप से संतुलित करने वाली प्रकृति की सौगात है। दशमूल का अर्थ होता है दस जड़ों का संयोजन, और इन जड़ों को सदियों से भारतीय चिकित्सा पद्धति में विशेष स्थान मिला है। यह मिश्रण उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं जो अक्सर शारीरिक कमजोरी, वात रोग, या महिला संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं।
यह भी देखें: गर्मियों में ज्यादा फायदेमंद क्या है – गन्ने का जूस या नारियल पानी? जानिए
दशमूल में शामिल प्रमुख जड़ी-बूटियों की जानकारी
दशमूल में कौन-कौन सी जड़ी-बूटियां शामिल होती हैं—इसकी जानकारी उतनी ही ज़रूरी है जितनी इसे उपयोग में लाने की विधि। इस आयुर्वेदिक फॉर्मूले में शामिल हैं बिल्व, अग्निमंथ, श्योनाक, पटल, कष्मारी, बृहती, कंटकारी, शलपर्णी, पृश्णपर्णी और गोक्षुर। इन सभी औषधीय जड़ों का मिश्रण शरीर के तीनों दोष—वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
दशमूल के प्रमुख स्वास्थ्य लाभ
दशमूल का सबसे बड़ा उपयोग सूजन, दर्द और वात रोगों को कम करने में होता है। यह शरीर में जमा टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, साथ ही यह नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जिससे माइग्रेन और सिर दर्द में भी राहत मिलती है। यही कारण है कि दशमूल का सेवन अक्सर आयुर्वेदिक चिकित्सक पुराने दर्द या न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस में करने की सलाह देते हैं।
महिलाओं के लिए दशमूल का विशेष महत्व
महिलाओं के लिए भी दशमूल बेहद लाभकारी माना गया है। खासकर प्रसव के बाद होने वाली थकान और कमजोरी को दूर करने में यह मिश्रण बहुत असरदार होता है। दशमूल के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) भी बढ़ती है, जिससे मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।
यह भी देखें: हड्डियां कांच जैसी हो गई हैं? ये 5 देसी बीज बना देंगे लोहे जैसी मज़बूत!
पाचन, सांस और मूत्र संबंधी समस्याओं में दशमूल की भूमिका
इसके अलावा, दशमूल का सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त करने, गैस्ट्रिक समस्या में राहत देने और फेफड़ों को मजबूत करने में भी सहायक होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग काढ़े (decoction), चूर्ण (powder) और टैबलेट (tablet) तीनों रूपों में किया जाता है। हालांकि इसका कौन-सा रूप किस स्थिति में लेना है, ये निर्णय किसी प्रशिक्षित आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।
गोक्षुर, बृहती और कंटकारी
दशमूल में मौजूद गोक्षुर और शलपर्णी जैसे घटक मूत्र संबंधी परेशानियों में भी राहत देते हैं। यह किडनी को हेल्दी बनाए रखने में मददगार हैं। वहीं बृहती और कंटकारी जैसे जड़ी-बूटियां सांस की नली को खोलने का काम करती हैं, जिससे सांस की बीमारियों और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभ होता है।
सेवन से पहले क्या सावधानियां ज़रूरी हैं?
एक और खास बात यह है कि दशमूल का सेवन करते वक्त किसी भी प्रकार की दवा या एलोपैथिक ट्रीटमेंट चल रहा हो, तो पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। कई बार हर्बल औषधियों के साथ एलोपैथी का तालमेल गलत असर भी डाल सकता है। इसलिए आयुर्वेदिक सलाह के साथ ही इस चमत्कारी औषधि को अपनाएं।
क्या दशमूल का कोई साइड इफेक्ट है?
दशमूल का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता अगर इसे संतुलित मात्रा में और सही दिशा-निर्देशों के तहत लिया जाए। हालांकि, गर्भवती महिलाएं या शिशु को दूध पिलाने वाली माताएं बिना सलाह इसका सेवन ना करें।
यह भी देखें: गेहूं में डालें ये सालों-साल तक नहीं लगेगा घुन! कीड़े-मकोड़े पास भी नहीं आते