Health News: थकान-बुखार और कमजोरी, कहीं ये हेपेटाइटिस तो नहीं, जानिए इसके लक्षण?

थकान-बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण हेपेटाइटिस जैसी लिवर संबंधी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं। हेपेटाइटिस A से लेकर E तक इसके कई प्रकार हैं, जो दूषित भोजन, पानी या संक्रमित रक्त से फैल सकते हैं। समय पर लक्षणों को पहचानना, टीकाकरण और स्वच्छता से इसका प्रभावी तरीके से बचाव किया जा सकता है। सतर्कता ही इसका सबसे अच्छा इलाज है।

By GyanOK

थकान-बुखार और कमजोरी, कहीं ये हेपेटाइटिस तो नहीं?

थकान-बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण अक्सर आम बीमारियों की तरह नजरअंदाज कर दिए जाते हैं, लेकिन इन्हीं लक्षणों के पीछे कई बार हेपेटाइटिस-Hepatitis जैसी गंभीर बीमारी छिपी हो सकती है। हेपेटाइटिस एक लिवर से जुड़ी बीमारी है, जिसमें लिवर में सूजन आ जाती है। यह संक्रमण वायरल संक्रमण, दूषित भोजन या पानी, संक्रमित रक्त के संपर्क या असुरक्षित यौन संबंधों के कारण फैल सकता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेलियर या लिवर कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का रूप ले सकता है।

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शुरुआती लक्षण जिन्हें नहीं करना चाहिए नजरअंदाज

हेपेटाइटिस के शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य प्रतीत होते हैं और इसलिए लोग अक्सर इनकी अनदेखी कर देते हैं। थकावट, हल्का बुखार, मिचली, पेट दर्द, मूत्र का गहरा रंग और आंखों या त्वचा का पीला पड़ना इसके शुरुआती संकेत हो सकते हैं। जब ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस की ओर संकेत करते हैं, जो धीरे-धीरे लिवर को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इन लक्षणों को नजरअंदाज करने के बजाय तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना बेहद जरूरी हो जाता है।

हेपेटाइटिस के प्रकार और उनके लक्षण

हेपेटाइटिस के कई प्रकार होते हैं—जैसे हेपेटाइटिस A, B, C, D और E। हेपेटाइटिस A और E आमतौर पर दूषित भोजन और पानी से फैलते हैं, जबकि हेपेटाइटिस B और C मुख्य रूप से रक्त और शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से फैलते हैं। हेपेटाइटिस D केवल उन्हीं लोगों को होता है जो पहले से हेपेटाइटिस B से संक्रमित होते हैं। इन सभी प्रकारों के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं लेकिन गंभीरता और संक्रमण का तरीका अलग होता है।

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हेपेटाइटिस A से लेकर E तक की गंभीरता

हेपेटाइटिस A में मरीज़ को थकावट, हल्का बुखार, भूख न लगना और पीलिया जैसे लक्षण होते हैं। हेपेटाइटिस B और C में यह अधिक जटिल रूप ले सकता है, जिसमें जोड़ों में दर्द, उल्टी, मूड स्विंग्स और त्वचा में खुजली जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं। वहीं हेपेटाइटिस E गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक घातक माना जाता है और इसमें समय पर इलाज न मिलने पर जोखिम अधिक हो सकता है।

हेपेटाइटिस से बचने के उपाय

बचाव के लिहाज से साफ-सुथरे भोजन और पानी का सेवन, व्यक्तिगत स्वच्छता और हेपेटाइटिस A और B के लिए समय पर टीकाकरण सबसे प्रभावी उपाय माने जाते हैं। इसके अलावा, किसी भी संक्रमित व्यक्ति के साथ टूथब्रश, रेजर या अन्य व्यक्तिगत वस्तुओं का साझा उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। असुरक्षित यौन संबंध और बिना जांचे रक्त का ट्रांसफ्यूजन भी हेपेटाइटिस के प्रमुख कारण बन सकते हैं।

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जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है

शहरों में तो लोग जागरूक होते जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में अभी भी जागरूकता की भारी कमी है। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय और सामाजिक संगठनों को चाहिए कि वो हेपेटाइटिस के प्रति जनजागरूकता अभियान चलाएं। साथ ही स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी दी जाए ताकि वे समय पर लक्षणों की पहचान कर सकें।

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