
किसानों के लिए आज का दिन खास रहा, जब केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP में बढ़ोतरी का ऐलान किया। मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। खास बात यह है कि इस बार 13 फसलों की MSP में इजाफा किया गया है, जिनमें धान, दलहन, तिलहन और कॉटन प्रमुख हैं। यह निर्णय न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी लाने का एक प्रयास है, बल्कि उन्हें फसल उत्पादन के लिए और अधिक प्रेरित करने की दिशा में भी एक ठोस कदम है।
MSP में बदलाव की अहमियत और इसका असर
MSP का निर्धारण हर साल फसल की बुआई से पहले किया जाता है ताकि किसानों को न्यूनतम कीमत की गारंटी मिल सके। सरकार द्वारा तय इस दर से कम पर किसानों की फसलें बाजार में नहीं बिकतीं, और अगर बाजार मूल्य नीचे गिरता है तो भी सरकार उसी तय MSP पर फसलें खरीदती है। इस बार की MSP बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब देशभर में खेती-किसानी की लागत और मुनाफे को लेकर कई मुद्दे उठ रहे हैं। इससे किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और फसल के लिए अग्रिम योजना बनाना आसान होगा।
इन फसलों को मिला फायदा
इस बार जिन खरीफ फसलों की MSP में वृद्धि की गई है, उनमें मुख्य रूप से धान, अरहर, मूंग, उड़द जैसी दलहन फसलें, तिल और सोयाबीन जैसी तिलहन फसलें, और कपास शामिल हैं। इन फसलों की कीमतों में वृद्धि के बाद किसानों को उत्पादन लागत से बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है। साथ ही सरकार द्वारा जारी ब्याज सब्सिडी स्कीम भी जारी रहेगी, जिससे किसानों को सस्ते दर पर लोन मिलता रहेगा।
सरकार की रणनीति और किसानों के लिए आगे की राह
MSP में वृद्धि केवल एक आर्थिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह सरकार की उस नीति का हिस्सा है जो किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य से जुड़ी है। इस निर्णय से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और कृषि क्षेत्र में निवेश का माहौल बेहतर होगा। सरकार की रणनीति स्पष्ट है—किसानों को उत्पादन के लिए प्रोत्साहन देना और बाजार में स्थिरता बनाए रखना।