बिहार की सियासत में इन दिनों एक नाम खूब सुर्खियों में है खान सर. मशहूर शिक्षक और लाखों युवाओं के आदर्श खान सर की आम आदमी पार्टी (AAP) के तेजतर्रार नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह से हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि खान सर 2025 के विधानसभा चुनाव में AAP के टिकट पर मैदान में उतर सकते हैं.

बंद कमरे में हुई बातचीत ने बढ़ाई चर्चा
पटना में संजय सिंह और खान सर के बीच बंद कमरे में हुई मुलाकात को महज एक सामान्य भेंट नहीं माना जा रहा है. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब बिहार में चुनाव की सरगर्मी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. AAP पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह राज्य की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ऐसे में इस मुलाकात को रणनीतिक राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है.
“शिक्षा और ईमानदारी वाले चेहरों की जरूरत” संजय सिंह
गर्दनीबाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए संजय सिंह ने साफ किया कि उनकी पार्टी अब ऐसे लोगों को राजनीति में लाना चाहती है जो ईमानदारी, शिक्षा और सामाजिक सरोकार से जुड़े हों. उन्होंने यह भी कहा कि बिहार को अब नए, मजबूत और भरोसेमंद विकल्पों की जरूरत है. इन बातों के बीच खान सर का नाम चर्चा में आना स्वाभाविक है.
कौन हैं खान सर?
खान सर पटना के एक चर्चित शिक्षक हैं, जिन्होंने अपने यूट्यूब चैनल और कोचिंग क्लासेस के ज़रिए लाखों छात्रों का भरोसा जीता है. वे अपने साफ और सीधे अंदाज, हास्यभरे बोलचाल और गहराई से समझाए गए विषयों के लिए जाने जाते हैं. शिक्षा के साथ-साथ वे कई सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखते रहे हैं, जिससे उनका प्रभाव केवल क्लासरूम तक सीमित नहीं रहा.
हाल ही में खान सर ने एएस खान से शादी की है, जिसकी खबरें भी सोशल मीडिया पर छाई रहीं. उनके फॉलोअर्स न केवल उन्हें शिक्षक मानते हैं, बल्कि उन्हें एक ‘युवा नेता’ के रूप में भी देखने लगे हैं.
अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं
हालांकि, अब तक न तो खान सर ने और न ही आम आदमी पार्टी ने इस बात की पुष्टि की है कि वे चुनाव लड़ेंगे या पार्टी में शामिल होंगे. लेकिन जानकारों का मानना है कि यह सिर्फ वक्त की बात है. अगले कुछ हफ्तों में इस दिशा में कोई बड़ी घोषणा हो सकती है.
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अगर खान सर AAP के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं, तो यह पार्टी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. उनकी लोकप्रियता और युवाओं में पकड़ से पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है, खासकर शहरी और पढ़े-लिखे वोटरों के बीच.