बिजली नहीं की इस्तेमाल, तो पैसे किस बात के हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 17 सालों के संघर्ष के बाद, कर्नाटक हाईकोर्ट ने बिना उपयोग की गई बिजली पर टैक्स को असंवैधानिक करार दिया। जानिए इस फैसले का उद्योगों पर क्या असर पड़ेगा और कैसे यह लाखों उपभोक्ताओं को देगा राहत

By GyanOK

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बिना खपत की गई बिजली पर लगाए गए टैक्स को असंवैधानिक और अवैध करार दिया है. यह फैसला उन लोगों के लिए राहत लेकर आया है जो पिछले 17 साल से इस टैक्स के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे. अब अगर कोई उपभोक्ता बिजली का उपयोग नहीं करता, तो उसे टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा

बिजली नहीं की इस्तेमाल, तो पैसे किस बात के हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

मामला क्या था?

2003 में कर्नाटक सरकार ने Electricity (Taxation and Consumption) Act-1959 में संशोधन कर दिया था, जिसके तहत बिजली की ‘उपलब्धता’ पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया गया. इसका मतलब था कि भले ही उपभोक्ता ने बिजली का इस्तेमाल न किया हो, लेकिन बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उसे टैक्स देना पड़ता था। यह टैक्स अधिकतम 12 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से तय किया गया था. इससे पहले, टैक्स सिर्फ उस बिजली पर लगाया जाता था जिन्होंने बिजली का इस्तेमाल किया हो यानि बिजली की यूनिट इस्तेमाल की हों.

उद्योग संगठनों की कानूनी लड़ाई

इस नए टैक्स के खिलाफ सबसे पहले कर्नाटक टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (KTMA) ने 2008 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, और बाद में फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FKCCI) ने 2009 में इसी मुद्दे पर याचिका दाखिल की. दोनों संगठनों का कहना था कि बिजली की उपलब्धता पर टैक्स लगाना संविधान के खिलाफ है. उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि राज्य सरकार को केवल बिजली की खपत या बिक्री पर टैक्स लगाने का अधिकार है न कि उसकी आपूर्ति पर.

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हाईकोर्ट का अहम निर्णय

हाईकोर्ट के जस्टिस अनंत रमणाथ हेगड़े ने इस मामले पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि उपभोक्ता को सिर्फ बिजली की उपलब्धता पर टैक्स देना गलत है, खासकर जब उसने उस बिजली का उपयोग नहीं किया हो. उन्होंने कहा कि ऐसा टैक्स “बेची नहीं गई लेकिन बेचे जाने की बात पर” आधारित है, जो संविधान के खिलाफ है.

रिफंड का आदेश

कर्नाटक हाईकोर्ट ने FKCCI को 2009 से 2018 तक दिए गए टैक्स का रिफंड देने का आदेश दिया है. इस फैसले के बाद, FKCCI अब टैक्स के रिफंड के लिए आवेदन कर सकता है, क्योंकि इस टैक्स का भुगतान उन्होंने खुद किया था. वहीं, KTMA को कोर्ट ने एक नया केस दायर करने की अनुमति दी है, ताकि वह रिफंड की मांग फिर से कर सके.

KTMA के चेयरमैन सी वल्लीप्पा ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे जल्द ही नई याचिका दायर करेंगे. FKCCI भी इस फैसले को राज्य भर के सभी उपभोक्ताओं पर लागू करवाने के लिए नई याचिका दाखिल करेगा.

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