
भारतीय सेना ने हाल ही में एक बयान जारी कर यह स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर में एयर डिफेंस सिस्टम या गन्स तैनात नहीं किए गए थे। यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्ट्स के जवाब में आया है, जिनमें दावा किया गया था कि पाकिस्तान से संभावित ड्रोन या मिसाइल हमले की आशंका के चलते स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन लगाई गई थी।
सेना का यह बयान न केवल भ्रम को दूर करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत की सैन्य नीति धार्मिक स्थलों की पवित्रता का पूरा सम्मान करती है। सेना ने बताया कि स्वर्ण मंदिर परिसर के भीतर किसी भी प्रकार की वायु रक्षा प्रणाली की न तो तैनाती की गई और न ही इसकी कोई योजना बनाई गई।
SGPC ने खारिज किए सभी सैन्य तैनाती के दावे
इस मामले पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी मोर्चा संभालते हुए मीडिया में आ रही खबरों को खारिज किया है। SGPC अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने बयान जारी कर कहा कि सेना द्वारा किसी भी तरह की सैन्य उपकरण तैनाती के लिए SGPC से कोई संपर्क नहीं किया गया और न ही इस तरह की कोई अनुमति मांगी गई।
धामी ने यह भी बताया कि हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के मद्देनजर प्रशासन ने सिर्फ स्वर्ण मंदिर की बाहरी और ऊपरी लाइटें ब्लैकआउट के दौरान बंद करने का अनुरोध किया था। SGPC ने धार्मिक मर्यादा का पालन करते हुए इस अनुरोध को स्वीकार किया। मंदिर के भीतर की सभी धार्मिक गतिविधियां—जैसे अखंड पाठ, कीर्तन, और लंगर सेवा—अविरल रूप से जारी रहीं और इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया गया।
धार्मिक पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया
स्वर्ण मंदिर के प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह और अतिरिक्त प्रमुख ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने भी मीडिया में फैली खबरों को “पूरी तरह से झूठा और आधारहीन” बताया। उन्होंने कहा कि यदि परिसर में कोई एयर डिफेंस गन तैनात की जाती तो हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं की नजर उस पर जरूर पड़ती।
अमरजीत सिंह ने यह भी जोड़ा कि श्री दरबार साहिब में हर दिन लाखों श्रद्धालु आते हैं, और परिसर में किसी भी असामान्य गतिविधि को आसानी से नोटिस किया जा सकता है। इसलिए इस तरह के दावे केवल भ्रामक हैं और लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं।
धार्मिक अनुशासन और मर्यादा में रचा-बसा रहा श्री दरबार साहिब
SGPC और सेना दोनों ही संस्थाओं की ओर से यह बात दोहराई गई कि श्री दरबार साहिब में सभी धार्मिक क्रियाएं पूरी श्रद्धा और मर्यादा के साथ संपन्न हुईं। लंगर की सेवा, कीर्तन, और अन्य धार्मिक आयोजन निर्बाध रूप से चलते रहे। न कोई सैनिक हस्तक्षेप हुआ, न ही परिसर की पवित्रता से कोई समझौता।
SGPC ने सरकार से इस मामले में स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से बयान देने की मांग की है ताकि इस तरह की अफवाहों पर विराम लग सके।