
अगर सोचों भारत में एक दिन भी इंटरनेट ठप पड़ जाए तो कितना नुकसान होगा! आज के समय में हमारे अधिक काम डिजिटल और ऑनलाइन हो गए हैं जिसे करने के लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है। ये सच्चाई है कि आजकल भारत के इंटरनेट पर अधिक खतरा बढ़ गया है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकी लाल सागर में यमन के हुती विद्रोही हमला कर रहें हैं अभी तक अमेरिका और इजराइल इनसे परेशान थे और अब हमारा देश भी। बता दें लाल सागर से इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए सबमरीन केबल्स गुजरती है और इन्हे हुती विद्रोही नुकसान पहुंचा रहें हैं, इससे देश में इंटरनेट की दिक्क़ते आ सकती है। इस वजह से गूगल, जियो और एयरटेल जैसी बड़ी कम्पनियाँ बहुत परेशान हो रही हैं और समस्या का समाधान ढूंढ रही हैं।
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भारत के लिए जरुरी क्यों है लाल सागर का रास्ता?
भारत के लिए लाल सागर डिजिटल दुनिया का बहुत ही जरुरी रास्ता है। बता दें यहाँ पर समुद्र के अंदर मोटी मोटी केबल्स बिछी हुई हैं जो भारत तक पहुंचती हैं। यदि केबल्स में कोई खराबी अथवा इन्हे कोई नुकसान पहुंचाता है तो देश में इंटरनेट की स्पीड बहुत धीमी हो जाएगी अथवा इन्तेर्नत पूरी तरह बंद भी हो सकता है जिससे भारत के कई महत्वपूर्ण ऑनलाइन काम बंद हो सकते हैं जिससे बहुत बड़ा नुकसान होगा।
लाल सागर में गूगल की ब्लू रमन, एयरटेल की 2 अफ्रीका रवम Sea Me We 6, और जियो की इण्डिया-यूरोप एक्सप्रेस जैसी जरुरी केबल्स बिछकर मुंबई और चेन्नई के तटों तक पहुंची हुई है जिससे इंटरनेट चलता है।
कंपनियां कर रही है नई तैयारियां
हुती विद्रोही के आंतक से बचने के लिए इंटरनेट कंपनियों ने कई जरुरी निर्णय लिए हैं जिसके लिए वे अब तैयारी कर रही हैं।
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनियां अतिरिक्त फाइबर केबल्स बिछा रही है। यदि ये केबल्स कटती है तो फिर से दूसरी केबल्स को आसानी से ला सकते हैं।
- बढ़ते खतरे से बचने के लिए लाइटस्ट्रॉम ग्रुप के सीईओ अजित गुप्ता ने राय दी है कि कंपनियां लाल सागर के बदलें में जमीन में केबल्स बिछा सकते हैं। हालाँकि इस काम में बहुत अधिक खर्चा आ सकता है।
हुतियों का बढ़ रहा खतरा
दिन प्रतिदिन लाल सागर में हुतियों का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। बता दें पिछले एक महीने में इन्होने दो कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया है। जब भी कोई जहाज वहां पर केबल्स की रिपेयर करने आने थे तो वे इनसे पैसे लेते हैं। हुती विद्रोही कई देशों पर दबाव डाल रहें हैं कि उन्हें केबल्स को काट देंगे जिससे उन्हें अधिक नुकसान होगा। अमेरिका ने उन पर कई हमले भी किए फिर भी वे सुधरने का नाम नहीं ले रहें।