भारत ब्रह्मोस मिसाइल को दूसरे देशों को क्यों नहीं बेच सकता? जानिए दुश्मनों के काल पर क्यों लगी ये रोक

ब्रह्मोस मिसाइल, भारत-रूस का संयुक्त सैन्य प्रोजेक्ट, अब वैश्विक रक्षा बाजार में धूम मचा रहा है। पाकिस्तान में इसकी सफलता के बाद कई देश इसे खरीदने को इच्छुक हैं, लेकिन भारत को रूस की अनुमति लेनी होती है। फिलीपींस पहले ही इस मिसाइल की खरीद कर चुका है। ब्रह्मोस भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का सशक्त प्रतीक बनकर उभरी है।

By GyanOK

भारत ब्रह्मोस मिसाइल को दूसरे देशों को क्यों नहीं बेच सकता? जानिए दुश्मनों के काल पर क्यों लगी ये रोक
BrahMos Missile

भारत की ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है और इसने हाल ही में अपनी ताकत से सबका ध्यान खींचा है। पाकिस्तान के साथ हुए तनाव में भारत ने इस मिसाइल का इस्तेमाल करके दुश्मन के 11 एयरबेस उड़ा दिए, जिससे पता चलता है कि भारत की सेना कितनी ताकतवर है और अब वह सिर्फ दूसरे देशों के हथियारों पर ही निर्भर नहीं है। यह मिसाइल भारत की अपनी बनाई हुई ताकत का प्रतीक है।

दुनिया भर के देशों में ब्रह्मोस मिसाइल की मांग

ब्रह्मोस मिसाइल की तेज गति, अचूक निशानेबाजी और अद्वितीय मारक क्षमता ने इसे दुनिया की सबसे प्रभावशाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में शुमार कर दिया है। यह मिसाइल अपने टारगेट को मात्र 1 मीटर के सर्कल में हिट करने की क्षमता रखती है, जो इसे बेहद सटीक बनाती है। पाकिस्तान में इसके सफल प्रदर्शन के बाद, कई देश—खासकर दक्षिण-पूर्व एशियाई और खाड़ी देशों—ने ब्रह्मोस में गहरी रुचि दिखाई है।

BrahMos Missile खरीदने के लिए भारत को रूस की अनुमति क्यों जरूरी है?

ब्रह्मोस एक भारत-रूस संयुक्त उपक्रम (Joint Venture) का परिणाम है, जिसके अंतर्गत ब्रह्मोस एयरोस्पेस (BrahMos Aerospace) की स्थापना की गई थी। इस प्रोजेक्ट में भारत और रूस दोनों की 50-50 प्रतिशत तकनीकी और निवेश साझेदारी है। यही कारण है कि किसी तीसरे देश को ब्रह्मोस मिसाइल बेचने से पहले भारत को रूस की सहमति प्राप्त करनी होती है। यह सहमति रक्षा तकनीक के साझे स्वामित्व के तहत आवश्यक है और यह प्रक्रिया मिसाइल निर्यात को लेकर एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और सामरिक कदम बन जाती है।

ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में सबसे आगे रहा फिलीपींस

भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला पहला देश फिलीपींस रहा। वर्ष 2022 में फिलीपींस ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 374 मिलियन डॉलर की डील साइन की थी। अप्रैल 2025 में भारत ने इस मिसाइल की दूसरी खेप फिलीपींस को डिलीवर कर दी, जिससे यह सहयोग और मजबूत हुआ। इसके अलावा वियतनाम भी भारत से इस मिसाइल को खरीदने की प्रक्रिया में है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है।

किन-किन देशों ने दिखाई है रुचि BrahMos Missile में?

अब तक जिन देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई है, उनमें इंडोनेशिया, चिली, अर्जेंटीना, थाईलैंड, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कतर, ओमान, ब्रुनेई, वेनेजुएला, मिस्र और सऊदी अरब जैसे नाम प्रमुख हैं। इनमें से कई देश मुस्लिम बहुल हैं और उनके द्वारा भारतीय रक्षा उत्पाद में विश्वास जताना भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह भारत की रक्षा कूटनीति की सफलता को भी दर्शाता है।

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