मार्च से मई 2025 के बीच भारतीय शेयर मार्केट ने देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का रुख बदला है। Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मार्केट वैल्यूएशन में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर की बंपर बढ़त हुई, जिससे इंडिया इस समय दुनिया के टॉप 10 शेयर मार्केट्स में सबसे आगे निकल आया है।

मार्केट कैप ने छूई 5.33 ट्रिलियन डॉलर की ऊँचाई
वैसे तो इस रैली का असर सिर्फ बड़े इंडेक्स पर नहीं दिखा, बल्कि लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप जून तक 5.33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। अर्रे, और क्या कहें… मार्च से मई के बीच इतनी जोरदार रिकवरी हुई कि इक्का-दुक्का मौसम बदलने से भी ज्यादा कुछ टूट-फूट नहीं आई।
सेंसेक्स-निफ्टी का धमाकेदार प्रदर्शन
- 4 मार्च से 11 जून तक सेंसेक्स ने जबर्दस्त तेजी दिखाते हुए 13% की बढ़त हासिल की, यानी करीब 9,525 अंकों की उछाल।
- निफ्टी भी कम नहीं रहा, यह 14% उछलकर 3,058 अंकों पर पहुंच गया।
- मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने भी अपना जलवा दिखाया – मिडकैप में 20.7% जबकि स्मॉलकैप में 26% तक उछाल हुई।
भारी गिरावट के बाद जबरदस्त वापसी
बात अगर पिछले साल की करें, तो सितंबर 2024 से फरवरी 2025 तक लगभग 15% तक का नुकसान हुआ था—सेंसेक्स गिरा 85,978 से 72,989, और निफ्टी 26,277 से घटकर 22,082 पर आ गया। हांलाकि मार्च से शुरू हुई तेज़ी ने सारी कमी पूरी तरह से पूरा कर दिया।
अमेरिका और चीन भी पीछे रह गए
भारत का परफॉर्मेंस निराला रहा—इन्हीं महीनों में यहाँ 21% की वैल्यूएशन ग्रोथ हुई, जबकि:
- जर्मनी: 14%
- कनाडा: 11%
- हांगकांग: 9%
- अमेरिका: बस 2.4%
- चीन: सिर्फ 2.7%
यहां तक कि फ्रांस (3.9%) और ताइवान (3.2%) भी भारत के आगे नहीं चल पाए।
मिडकैप–स्मॉलकैप का ग्रोथ मूड
बीएसई मिडकैप ने 20.7% जबकि स्मॉलकैप ने 26% से भी अधिक उछाल मारी, जिससे निवेशकों का भरोसा दोबारा मैदान में आ गया। छोटों कंपनियों पर इस भरोसे ने संकेत दिया कि यह सेक्टर मजबूत बनेगा।
ओवरवैल्यूएशन का खतरा
तीव्र तेजी के साथ कुछ चिंता भी जुड़ी है। कॉटक के संजीव प्रसाद मानते हैं कि IT, उपभोक्ता और निवेश से जुड़े सेक्टर अब “ओवरवैल्यूड” हो सकते हैं। कम आय वृद्धि के चलते निवेशकों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
EPS अनुमान में कटौती
JM Financial ने FY 25 के लिए निफ्टी की EPS में मामूली 0.3% की वृद्धि की उम्मीद जताई है। मगर FY 26 और FY 27 के लिए अनुमान क्रमशः 1.1% और 1% घटाकर संशोधित किए गए हैं। इससे साफ़ संकेत है कि मार्केट अपनी वैल्यूएशन को सही स्तर पर ले जाने की प्रक्रिया में है।
भारत‑पाक तनाव से रक्षा सेक्टर का सूपरस्टार बनना
हाल के भारत‑पाक तनाव ने रक्षा और ड्रोन्स से जुड़े शेयरों को निवेशकों की पसंद बना दिया। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स जैसे कंपनी के शेयरों में खास उछाल नजर आया, जो इस सेक्टर की अगली लहर हो सकता है।
भारत ने पक्का किया पांचवां स्थान
इन सभी वजहों का नतीजा यह है कि भारत अब दुनिया का 5वाँ सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया है – पीछे सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और हांगकांग ही हैं। यह भारत के आर्थिक ढांचे की ताक़त और निवेशकों के बढ़ते भरोसे का जज़्बा दिखाता है।
भारत ने साबित कर दिया कि यह मार्केट दुनिया में अपना अलग ही मुकाम बना सकता है। लेकिन खास ध्यान रखने वाली बात है: तेज़ी के बीच कुछ सेक्टर ओवरवैल्यूड हो चुके हैं, इसलिए निवेश करते समय थोड़ा समझदारी और सतर्कता ज़रूरी है।