दुनिया में आज के डिजिटल युग में भी कई ऐसे गांव हैं जो अपनी अनोखी परंपराओं और अनोखे सामाजिक ढांचे के कारण इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन जाते हैं. ब्राजील के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित “नोइवा दो कोरडेएरो” (Noiva do Cordeiro) गांव भी कुछ ऐसा ही है, जो हाल के वर्षों में अपनी अनूठी व्यवस्था और महिलाओं की विशेष भूमिका को लेकर सुर्खियों में है.

यह गांव चारों ओर से हरियाली और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, लेकिन इसकी सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यहां रहने वाली करीब 600 लड़कियां कुंवारी हैं. न तो इनकी अब तक शादी हुई है और न ही फिलहाल शादी की कोई उम्मीद नज़र आ रही है.
आखिर क्यों नहीं हो पा रही यहां शादियां?
यह सवाल जितना सरल लगता है, इसका जवाब उतना ही जटिल है. दरअसल, इस गांव में दो बड़ी वजहें हैं जो यहां की लड़कियों के विवाह में बाधा बन रही हैं.
1. अविवाहित पुरुषों की भारी कमी:
गांव में पुरुषों की संख्या पहले से ही बहुत कम है। जो पुरुष हैं, वे या तो पहले से शादीशुदा हैं या रोजगार के सिलसिले में गांव छोड़ चुके हैं. ऐसे में यहां की लड़कियों के लिए योग्य वर मिलना बेहद मुश्किल हो गया है.
2. लड़कियों की ‘शादी की शर्त’:
यहां की लड़कियां चाहती हैं कि शादी के बाद पुरुष उन्हीं के गांव में आकर बसें और वहां की परंपराओं का पालन करें. वे अपने गांव, संस्कृति और जीवनशैली को छोड़कर किसी अन्य जगह जाने को तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि जो पुरुष यहां रिश्ता लेकर आते हैं, वे इन शर्तों को सुनकर वापस लौट जाते हैं.
गांव की महिलाएं खुद चलाती हैं पूरी व्यवस्था
नोइवा दो कोरडेएरो में महिलाओं का दबदबा है. वे खेती करती हैं, सामाजिक फैसले लेती हैं और गांव की पूरी व्यवस्था का संचालन करती हैं. यहां किसी भी सामाजिक या घरेलू मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार केवल महिलाओं के पास है. उनका मानना है कि पुरुषों के बनाए नियम उन्हें स्वीकार नहीं हैं, और वे अपने जीवन के फैसले खुद लेना चाहती हैं.
आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान इनकी पहचान
यह गांव केवल किसी विवाद का विषय नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी है। यहां की महिलाएं पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं वे खेत जोतती हैं, व्यवसाय चलाती हैं और एकजुट होकर सामूहिक जीवन जीती हैं। इसी आत्मनिर्भरता के कारण वे ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं जो उनके विचारों को समझे और सम्मान दे।
पुरुषों से किया था खास अनुरोध
कुछ साल पहले गांव की महिलाओं ने दुनिया भर के अविवाहित पुरुषों से अनुरोध किया था कि वे गांव आकर बसें और उनका जीवनसाथी बनें. इस अपील को सोशल मीडिया पर भी खूब साझा किया गया, लेकिन कठिन शर्तों और महिला प्रधान व्यवस्था के चलते अधिकतर पुरुषों ने रुचि नहीं दिखाई.
क्या भविष्य में बदलेगी तस्वीर?
फिलहाल इस गांव में अधिकतर लड़कियां अविवाहित हैं, लेकिन अगर भविष्य में कोई ऐसा पुरुष आता है जो यहां की परंपराओं और महिला सशक्तिकरण के भाव को अपनाने को तैयार हो, तो शायद इन महिलाओं को भी उनका मनचाहा जीवनसाथी मिल सके. तब तक नोइवा दो कोरडेएरो एक अनूठा उदाहरण बना रहेगा जहां महिलाएं अपनी शर्तों पर ज़िंदगी जीना पसंद करती हैं.