
यदि आप सरकारी या प्राइवेट नौकरी करते है तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको अपनी इनकम का कितना हिस्सा टैक्स में देना होता है. हालांकि सभी को टैक्स नहीं देना होता है, जिन लोगों की सैलरी 3 लाख रुपए से अधिक होती है, उन्हे हर साल टैक्स देना पड़ता है. अब कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि उन्हें अपनी सैलरी में से कितना टैक्स देना होगा. टैक्स निकालने के लिए आपकी आपकी कुल आय में से कटौतियां, छूट पर रिबेट्स को घटा दिया जाता है.
ऐसे करें टैक्स कैलकुलेशन
टैक्स निकालने के लिए आपको कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करने होंगे, जो की इस प्रकार से है-
ग्रॉस सैलरी (कुल आय)
सबसे पहले आपको अपनी कुल आय निकालनी होगी. इसमें आपकी बेसिक सैलरी, सभी तरह के अलाउंस जैसे कि मकान किराया भत्ता और यात्रा भत्ता, मिला हुआ बोनस शामिल होते हैं. इस सभी आय को जोड़कर कुल आय का पता चल जाता है.
कई तरह की छूट
एक व्यक्ति को कुछ हिस्सों पर आयकर नहीं लगता, यानी की उसे छूट दी जाती है. इसमें हाउस रेंट अलाउंस, स्टैंडर्ड डिडक्शन और लीव ट्रैवल अलाउंस शामिल है. आपकी कुल आय में से इन सभी छूट को हटा दिया जाता है.
कटौतियां
इनकम टैक्स एक्ट के तहत, व्यक्ति की टोटल आय कम करने के लिए कुछ छूट मिलती है, जैसे – धारा 80C के तहत आप अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा PF या इंश्योरेंस जैसे कई निवेशों में जमा करके अपना टैक्स बना सकते हैं. साथ ही धारा 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और कुछ होम लोन पर भी छूट मिलती है. इन कटौतियों का लाभ लेकर आप टैक्स को कम कर सकते हैं.
टैक्सेबल इनकम की सही जानकारी
ऊपर बताई गई सभी प्रक्रियाओं के बाद आपको अपनी कुल टैक्सेबल इनकम (वह आय जिस पर टैक्स लगेगा) का सही-सही पता चल जाएगा.
निकालें इनकम टैक्स स्लैब
आपको अपनी कुल आय में से कितना टैक्स देना, यह जानने के लिए आपको अलग-अलग टैक्स स्लैब देखने होंगे. हर स्लैब के हिसाब से आपकी इनकम के हिस्से पर अलग-अलग दर से टैक्स लगता है आपको अपनी इनकम के हर हिस्से पर लगने वाले टैक्स को जोड़ना होगा, तभी आप यह पता लगा पाएंगे कि आपको कुल कितना टैक्स चुकाना है.
चेक करें रिबेट
अब आपको यह देखना होगा कि कोई छूट मिल रही है या आपकी आय पर कोई अतिरिक्त शुल्क लग रहा हैं. यह खास स्थितियों जैसे – आपकी कुल आय या कुछ निवेश पर निर्भर करती हैं.
टीडीएस (TDS)
TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स के तहत, नौकरी करने वाले व्यक्ति की सैलरी से हर महीने उनका नियोक्ता (employer) कुछ पैसे टैक्स के रूप में काट लेता है. यह पैसा बाद में आपकी कुल टैक्स देनदारी के हिसाब से एडजेस्ट कर दिया जाता हैं.
इनकम टैक्स की कैलुलेशन करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी सभी कमाई को जोड़ना होगा. जिसमे आपकी सैलरी, मकान का किराया, शेयर या प्रॉपर्टी बेचने से मिला लाभ, बिजनेस या प्रोफेशन से हुई कमाई, और सेविंग्स अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट या बॉन्ड जैसे अन्य स्रोतों से मिली आय शामिल होती है। इन सभी आय को मिलाकर ही आपकी कुल टैक्सेबल इनकम तय होती है