
एचडीएफसी बैंक-HDFC Bank ने हाल ही में एक अहम फैसला लेते हुए अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट-FD योजनाओं की ब्याज दरों में बदलाव किया है। यह फैसला उन एफडी पर लागू होगा, जिनकी राशि 3 करोड़ रुपये से कम है। नई दरें 23 मई 2025 से प्रभावी हो चुकी हैं और इसका सीधा असर आम निवेशकों के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों पर भी पड़ेगा। यह कटौती ऐसे समय में की गई है जब जून के पहले सप्ताह में भारतीय रिजर्व बैंक-Reserve Bank of India (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा प्रस्तावित है। बाजार विशेषज्ञों की मानें तो रेपो रेट में संभावित कटौती के संकेत पहले से ही मिलने लगे थे और HDFC Bank का यह कदम उसी दिशा में एक संकेत माना जा रहा है।
नई ब्याज दरों की तस्वीर
HDFC Bank द्वारा घोषित नई ब्याज दरों के अनुसार अब आम निवेशकों के लिए FD रिटर्न 3% से 6.85% के बीच सीमित हो गया है, जबकि सीनियर सिटीजन को 3.5% से 7.35% तक का ब्याज मिलेगा। पहले यह दरें क्रमशः 3% से 7.10% और 3.5% से 7.55% थीं। खास अवधियों पर बैंक ने विशेष ध्यान दिया है। एक साल से 15 महीने से कम की FD पर ब्याज दर को 6.60% से घटाकर 6.50% कर दिया गया है, जो 10 बेसिस प्वाइंट (BPS) की कटौती दर्शाता है।
वहीं 18 महीने से 21 महीने के बीच की FD अब 7.05% की जगह 6.85% ब्याज देगी, यानि 20 BPS की कमी। इसी तरह, दो साल एक दिन से तीन साल तक की FD पर ब्याज दर 6.90% से घटाकर 6.70% कर दी गई है। बैंक की यह रणनीति इशारा करती है कि वह धीरे-धीरे ब्याज दरों को और नीचे लाने की संभावना पर काम कर रहा है।
सीनियर सिटीजन के लिए राहत और चुनौतियां
ब्याज दरों की इस नई संरचना में वरिष्ठ नागरिकों को कुछ हद तक राहत दी गई है। सबसे अधिक ब्याज दर 7.35% बनी हुई है, जो कि 18 महीने से अधिक और 21 महीने से कम की FD पर लागू होगी। वहीं, रेकरिंग डिपॉजिट-RD की दरें भी संशोधित की गई हैं। अब नॉर्मल निवेशकों को RD पर 4.50% से 6.85% तक का ब्याज मिलेगा, जबकि सीनियर सिटीजन को 5% से 7.35% तक की दरें मिलेंगी।
इस बदलाव का क्या मतलब है निवेशकों के लिए?
इस ब्याज दर कटौती का सीधा असर उन निवेशकों पर होगा, जो अपनी बचत को सुरक्षित और सुनिश्चित आय वाले निवेश में लगाना पसंद करते हैं। खासतौर पर रिटायर्ड लोग और सीनियर सिटीजन, जिनकी मासिक आय FD या RD पर निर्भर होती है, उन्हें अब अपने निवेश की पुन: समीक्षा करनी होगी। साथ ही, यह स्थिति ऐसे निवेशकों के लिए संकेत है कि उन्हें वैकल्पिक निवेश साधनों जैसे म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स या रिन्यूएबल एनर्जी-Renewable Energy आधारित ग्रीन बॉन्ड्स पर भी विचार करना चाहिए।