GST 2.0: अब पूरा होगा ‘एक देश, एक टैक्स’ का सपना! आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अहम मीटिंग

GST 2.0 भारत सरकार का ऐसा प्रस्ताव है जो टैक्स प्रणाली को सरल और स्पष्ट बनाने की दिशा में उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है। इससे टैक्स स्लैब कम होंगे, व्यापारियों को स्पष्टता मिलेगी और फूड आइटम्स जैसे क्षेत्रों में विवाद समाप्त होंगे। यह व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाकर आर्थिक विकास को रफ्तार देने का एक बड़ा अवसर है।

By GyanOK

GST 2.0: अब पूरा होगा 'एक देश, एक टैक्स' का सपना! आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अहम मीटिंग
GST 2.0

भारत सरकार ने Goods and Services Tax (GST) को सरल और स्पष्ट बनाने के लिए GST 2.0 की दिशा में कदम तेज कर दिए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई में 27 मई 2025 को हुई अहम बैठक में देश के प्रमुख उद्योगपतियों और व्यापार संगठनों से राय ली गई। इस मीटिंग का उद्देश्य GST सिस्टम को पुनः संरचित कर “एक देश, एक टैक्स” के मूल उद्देश्य को और बेहतर तरीके से साकार करना है।

GST 2.0 में क्या होगा खास

GST 2.0 एक ऐसा प्रयास है जो मौजूदा टैक्स स्लैब में सुधार कर इसे आसान और विवाद रहित बनाने की दिशा में काम करेगा। अभी GST में चार टैक्स स्लैब हैं – 5%, 12%, 18%, और 28%। लेकिन GST 2.0 के तहत सरकार 12% टैक्स स्लैब को हटाकर केवल तीन स्लैब लागू करने पर विचार कर रही है:

  • 5% टैक्स – आवश्यक वस्तुओं पर
  • 18% टैक्स – सामान्य उपभोग की वस्तुएं और सेवाएं
  • 28% टैक्स – लग्ज़री उत्पाद और सिगरेट जैसी वस्तुएं

इस बदलाव से ना केवल करदाताओं के लिए प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि व्यापारिक निर्णय भी ज्यादा स्पष्ट और रणनीतिक बनेंगे।

खाद्य वस्तुओं पर टैक्स को लेकर स्पष्टता

GST लागू होने के बाद से फूड आइटम्स जैसे बिस्किट, पनीर, पिज़्ज़ा बेस आदि पर टैक्स क्लासिफिकेशन को लेकर भ्रम और कानूनी विवाद बने रहे हैं। GST 2.0 में सरकार इस समस्या को सुलझाने के लिए एक समान टैक्स दर तय करने पर विचार कर रही है, जिससे उपभोक्ता और व्यापारियों को भ्रम की स्थिति से छुटकारा मिल सके।

India Inc की मांगें और सुझाव

भारत के उद्योग जगत (India Inc) ने सरकार के इस प्रयास का स्वागत करते हुए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए:

  • टैक्स दरें स्थिर और दीर्घकालिक हों
  • हर वस्तु और सेवा की क्लासिफिकेशन स्पष्ट हो
  • कागजी कार्यवाही और अनुपालन प्रक्रिया सरल हो
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की प्रणाली अधिक पारदर्शी और न्यायपूर्ण हो
  • MSMEs के लिए टैक्स प्रणाली को विशेष रूप से आसान बनाया जाए

इन सुझावों से स्पष्ट है कि उद्योग जगत चाहता है कि टैक्स सिस्टम ऐसा हो जो व्यापार को बढ़ावा दे और अनावश्यक झंझट से मुक्त हो।

GST सुधार की आवश्यकता क्यों है

GST को लागू हुए छह साल हो चुके हैं, लेकिन इस अवधि में इसकी संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। GST सीधा खपत (consumption) और बाजार को प्रभावित करता है। इसलिए यदि इसकी जटिलता को कम किया जाए और इसे स्थिर रूप दिया जाए, तो इससे न केवल व्यापार में सुगमता आएगी, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सीधा लाभ पहुंचेगा।

अब तक की प्रगति

GST परिषद द्वारा गठित Group of Ministers (GoM) ने अब तक कुछ वस्तुओं की टैक्स श्रेणियों में मामूली बदलाव किए हैं। लेकिन GST 2.0 पहली बार ऐसी पहल है, जिसमें पूरे टैक्स ढांचे को ही पुनः डिजाइन करने की योजना है। यदि इसमें सरकार, राज्यों और उद्योग जगत के बीच सहमति बन जाती है, तो यह भारतीय टैक्स प्रणाली में ऐतिहासिक परिवर्तन साबित हो सकता है।

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