
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विदेशी तेल पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए एक योजना बनाई है, जिसके तहत भविष्य में गाड़ियों में 100% बायो-एथनॉल ईंधन का इस्तेमाल होगा. 2025-26 तक पेट्रोल में 20% एथनॉल मिलाने का काम किया जाएगा. उनका मानना है कि एथनॉल के उपयोग से प्रदूषण कम होगा. सरकार के इस फैसले से पुराने गाड़ियों के मालिक काफी खुश है. कई लोगों का मानना है कि आजकल मिल रहे मिलावटी तेल से उनकी गाड़ियों का इंजन खराब हो रहा है.
मंत्रालय ने साफ की बात
सरकार के फैसले को पेट्रोलियम मंत्रालय ने पिछले हफ्ते खारिज कर दिया था, उनका कहना है कि E20 पेट्रोल से गाड़ी के माइलेज पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है. जिसके बाद मंत्रालय ने इस बात को साफ करते हुए कहा कि यह वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित नहीं है. लेकिन यह बात सच है कि गाड़ी में एथनॉल का उपयोग होने से ऊर्जा कम होती है, जिससे माइलेज में थोड़ी कमी आ सकती है.
E10 पेट्रोल के लिए बनी गाड़ियों में अगर E20 पेट्रोल का इस्तेमाल होता है, तो उसके माइलेज में 1 से 2% की कमी आ सकती है. वहीं दूसरी गाड़ियों में यह कमी 3 से 6% तक आ सकती है.
एथनॉल का इस्तेमाल करने से होगा करोड़ों का मुनाफा
भारत को विदेशी देशों से कच्चा तेल खरीदना पड़ता है, ऐसा करने पर ज्यादा पैसे खर्च होते है. भारत में 2014-15 से अब तक एथनॉल का इस्तेमाल होने से 1.4 लाख करोड़ से ज्यादा की बचत हुई है और साथ ही प्रदूषण की मात्रा भी कम हुई. एथनॉल गन्ने और फसलों से बनता है, इसलिए यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है. सरकार के इस कदम से किसानों को फायदा होगा.