
अब Commercial Pilot Licence-CPL पाने के लिए फिजिक्स और मैथ्स की अनिवार्यता जल्द इतिहास बन सकती है। Directorate General of Civil Aviation-DGCA ने एक ऐतिहासिक ड्राफ्ट सिफारिश को नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा है, जिसमें कहा गया है कि 12वीं में Physics-Maths जरूरी नहीं रहेंगे। यह फैसला उन लाखों स्टूडेंट्स के लिए एक बड़ी राहत है जो आर्ट्स या कॉमर्स स्ट्रीम से हैं लेकिन पायलट बनने का सपना देखते हैं।
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दुनिया के बराबर भारत भी
भारत अब उन विकसित देशों की सूची में शामिल हो सकता है जहां CPL के लिए साइंस स्ट्रीम जरूरी नहीं मानी जाती। अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पहले से ही ये फ्लेक्सिबिलिटी दी जाती है। DGCA का मानना है कि यह बदलाव Aviation Industry में पायलटों की भारी कमी को दूर करने में मदद करेगा।
किन्हें होगा फायदा और कैसे मिलेगी एंट्री?
इस नई नीति के तहत, आर्ट्स और कॉमर्स बैकग्राउंड वाले छात्र भी DGCA से मान्यता प्राप्त फ्लाइंग स्कूल में एडमिशन ले सकेंगे। हालांकि, उन्हें अन्य सभी मानक शारीरिक और मेडिकल योग्यता को पास करना होगा। DGCA का सुझाव है कि पायलट ट्रेनिंग के दौरान बेसिक फिजिक्स और मैथ्स की ट्रेनिंग दी जा सकती है ताकि छात्रों को टेक्निकल सब्जेक्ट्स समझने में कोई परेशानी न हो।
अभी ड्राफ्ट फेज में है प्रस्ताव
यह प्रस्ताव एक ड्राफ्ट के रूप में तैयार किया गया है जिसे फाइनल मंजूरी नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मिलनी बाकी है। मंत्रालय द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद ही यह नियम देशभर के फ्लाइंग स्कूल्स में लागू हो जाएगा।
एविएशन सेक्टर में क्यों जरूरी था ये बदलाव?
भारत में इस समय पायलट की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर Commercial Airlines में। इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट जैसी कंपनियों ने अपने बेड़े का विस्तार किया है और उन्हें योग्य पायलटों की जरूरत है। DGCA के अनुसार, हर साल भारत को लगभग 1,000 से 1,200 नए पायलट्स की जरूरत होती है, लेकिन मौजूदा सिस्टम में केवल साइंस स्टूडेंट्स को ही अनुमति मिलने के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा था।
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केवल सब्जेक्ट नहीं, स्किल्स भी हैं जरूरी
DGCA ने यह भी माना कि CPL परीक्षा पास करने के लिए जरूरी स्किल्स सिर्फ फिजिक्स या मैथ्स से नहीं आतीं, बल्कि Cognitive Abilities, Situational Awareness और Decision Making Skills भी अहम हैं। इसलिए उन्होंने इस ‘Subject Barrier’ को हटाने की सिफारिश की है।
इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया
DGCA के इस कदम की एविएशन इंडस्ट्री में काफी सराहना हो रही है। कई प्रशिक्षकों का मानना है कि अब छात्रों के पास करियर के लिहाज़ से अधिक विकल्प होंगे और फ्लाइंग स्कूल्स को भी ज्यादा अप्लिकेशन मिलेंगे। वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स इस बदलाव को ‘रेगुलेटेड तरीके’ से लागू करने की सलाह दे रहे हैं ताकि ट्रेनीज को पूरा तकनीकी ज्ञान समय रहते मिल सके।
क्या यह कदम पायलट बनने की पुरानी धारणा बदलेगा?
हालांकि इस फैसले पर अंतिम मोहर अभी बाकी है, लेकिन संकेत स्पष्ट हैं—DGCA भारत के एविएशन सेक्टर को और समावेशी, आधुनिक और अवसरों से भरपूर बनाना चाहता है। इस निर्णय से वह मिथक भी टूट जाएगा जिसमें पायलट बनना केवल साइंस स्ट्रीम के छात्रों के लिए ही मुमकिन समझा जाता था।
नए सपनों को मिलेगा उड़ान
यह बदलाव न सिर्फ नीति के स्तर पर क्रांतिकारी है, बल्कि युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा देने वाला है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्र, जिनके पास साइंस स्ट्रीम की सुविधा नहीं होती, अब बड़े सपने देखने की हिम्मत कर सकेंगे।
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