
CBSE की नई पहल के तहत अब प्राथमिक स्तर के बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। यह बदलाव खासतौर पर कक्षा 1 से 5 के बच्चों के लिए लागू होगा, ताकि वे अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा ग्रहण कर सकें। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 के तहत आया है, जो शिक्षा की जड़ को मजबूत करने और बच्चों की समझ को बेहतर बनाने पर जोर देता है।
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नई पढ़ाई की भाषा नीति
इस पहल के मुताबिक, फाउंडेशनल स्टेज (कक्षा 1 से 2) में पढ़ाई मातृभाषा (R1) या राज्य भाषा में होगी। अगर ये संभव न हो तो कोई अन्य परिचित भाषा भी अपनाई जा सकती है। वहीं, प्रिपरेटरी स्टेज (कक्षा 3 से 5) में भी R1 भाषा को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन दूसरी भाषा (R2) को विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। यह नीति बच्चों की अवधारणाओं को उनकी अपनी भाषा में बेहतर समझने की क्षमता को बढ़ावा देती है।
स्कूलों में कार्यान्वयन की तैयारी
इस नई व्यवस्था के तहत, CBSE ने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी छात्र-छात्राओं की मातृभाषाओं का पता लगाएं और उसी के अनुरूप शिक्षण सामग्री तैयार करें। इसके लिए स्कूलों को ‘NCF कार्यान्वयन समिति’ का गठन करना होगा, जो भाषा संसाधन जुटाने और शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का काम करेगी। NCERT और भारतीय भाषा संस्थान ने इस दिशा में 52 भाषाओं में ‘प्रवेशिका’ तैयार की हैं, जो बच्चों की मातृभाषा में पढ़ाई को आसान बनाएंगी। यह पहल खासतौर पर उन भाषाओं के लिए है जिनका स्कूलों में कम प्रयोग होता है।
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मातृभाषा में पढ़ाई के फायदे
मातृभाषा में शिक्षा के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि बच्चे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर बेहतर समझ विकसित कर पाते हैं। इससे उनकी बुनियादी साक्षरता मजबूत होती है और वे जटिल विषयों को भी आसानी से समझ सकते हैं। इसके अलावा, यह पहल भारतीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण में भी मददगार साबित होगी, क्योंकि बच्चे अपनी भाषा के प्रति जुड़ाव महसूस करेंगे। साथ ही, भाषाई विविधता को सम्मान देने का भी यह एक तरीका है, जो देश की सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देगा।
शिक्षा प्रणाली में अपेक्षित बदलाव
इस नीति से शिक्षा के स्तर में सुधार होने की उम्मीद है। बच्चे न केवल अपनी भाषा में सीखेंगे, बल्कि उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान और भाषा पर गर्व भी महसूस होगा। यह बदलाव शिक्षकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि उन्हें नई भाषाओं में शिक्षण सामग्री और पद्धतियां अपनानी होंगी। लेकिन यह एक लंबी अवधि की योजना है जो शिक्षा के भविष्य को मजबूत करेगी।
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