
बीटेक-BTech, भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा का सबसे पसंदीदा कोर्स है, लेकिन हालिया वर्षों में कुछ ब्रांचेस की मांग में तेजी से गिरावट आई है। जहां पहले हर स्टूडेंट का सपना होता था कि वे सिविल, मैकेनिकल या इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनें, अब वही स्टूडेंट्स इन ब्रांचेस में एडमिशन लेने से बच रहे हैं। इसका कारण है इंडस्ट्री की बदलती मांग, टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट और बेहतर पैकेज की चाहत।
एक समय था जब सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट्स को लाखों का पैकेज मिलना आम बात थी। लेकिन आज ये डिग्रियां सिर्फ डिग्री बनकर रह गई हैं, जबकि कंप्यूटर साइंस, AI और डेटा साइंस जैसी ब्रांचेस नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि कौन-सी बीटेक ब्रांचेस की वैल्यू घट गई है और क्यों, साथ ही यह भी समझेंगे कि स्टूडेंट्स को आगे किस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
सिविल इंजीनियरिंग (Civil Engineering)
पहले जो सिविल इंजीनियरिंग बीटेक की सबसे प्रतिष्ठित शाखा थी, अब वह छात्रों की पसंद से बाहर होती जा रही है। भारत में सड़क, पुल और बांध जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की मांग तो है, लेकिन अधिकतर अवसर सरकारी क्षेत्र तक सीमित हैं। प्राइवेट सेक्टर में ग्रोथ सीमित है, और फील्ड वर्क की अनिवार्यता इसे और भी चुनौतीपूर्ण बना देती है।
इसके अलावा, BIM जैसे ऑटोमेटेड टूल्स ने परंपरागत डिजाइनिंग जॉब्स की जगह ले ली है। हर साल लाखों स्टूडेंट्स इस ब्रांच से ग्रेजुएट होते हैं, जिससे कॉम्पिटीशन भी बेतहाशा बढ़ गया है। हालांकि, डेटा एनालिटिक्स या एमबीए करके कुछ नया रास्ता निकाला जा सकता है।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering)
एक समय था जब मैकेनिकल इंजीनियरिंग भारत के औद्योगिक विकास की रीढ़ मानी जाती थी। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोटिव सेक्टर में आई मंदी और ऑटोमेशन ने इसके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
मशीन डिजाइन अब AI आधारित सॉफ्टवेयर द्वारा किया जा रहा है, जिससे परंपरागत नौकरियों में गिरावट आई है। साथ ही, कोर जॉब्स में शुरुआती वेतन भी काफी कम होता है। हालांकि, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन या Renewable Energy जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन इस डिग्री को फिर से प्रासंगिक बना सकता है।
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering)
Electrical Engineering को एक समय स्टेबल करियर विकल्प माना जाता था, लेकिन अब इसकी डिमांड भी गिरती जा रही है। पावर सेक्टर की नौकरियां मुख्य रूप से सरकारी और PSUs में सीमित हैं, जहां प्रवेश प्रतिस्पर्धा से भरा हुआ है।
Smart Grid, IoT और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों में विशेषज्ञता जरूरी हो गई है, लेकिन कॉलेजों का सिलेबस अभी भी पुराना है। ऐसे में कोर इलेक्ट्रिकल जॉब्स की जगह IT या सॉफ्टवेयर सेक्टर में शिफ्ट होना आम हो गया है, जहां डिग्री की प्रासंगिकता कम होती है।
ईसीई (ECE)
Electronics and Communication Engineering यानी ECE कभी VLSI और हार्डवेयर डिजाइन की वजह से हाई डिमांड में थी। लेकिन अब Cloud Computing, Software Development और AI ने इसकी जगह ले ली है।
ECE ग्रेजुएट्स अक्सर कोर इलेक्ट्रॉनिक्स के बजाय सॉफ्टवेयर या टेस्टिंग में करियर बनाते हैं, जिससे उनकी डिग्री की उपयोगिता कम हो जाती है। outdated सिलेबस और नई तकनीकों की अनुपस्थिति भी इसका एक बड़ा कारण है। हालांकि, IoT, 5G या एम्बेडेड सिस्टम्स में स्किल्स डेवलप कर इस क्षेत्र में फिर से जगह बनाई जा सकती है।
केमिकल इंजीनियरिंग (Chemical Engineering)
Chemical Engineering एक समय पेट्रोकेमिकल और फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की धुरी थी। लेकिन अब इन सेक्टर्स की ग्रोथ सीमित हो गई है। कोर जॉब्स घट रही हैं और इंजीनियर्स को सेल्स या मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में जाना पड़ता है।
स्टूडेंट्स अब बायोटेक्नोलॉजी, Environmental Engineering या डेटा साइंस जैसे विकल्पों को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं। ऐसे में Chemical Engineering की लोकप्रियता तेजी से घटती जा रही है।
प्रोडक्शन और इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग
Production and Industrial Engineering की पढ़ाई पुराने मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम्स पर केंद्रित है, जबकि आज इंडस्ट्री 4.0, ऑटोमेशन और रोबोटिक्स पर जोर है। कोर जॉब्स की कमी और अन्य ब्रांचेस की बहुपरिणामी उपयोगिता की वजह से यह शाखा भी अप्रासंगिक होती जा रही है।
हालांकि, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक्स या डेटा एनालिटिक्स में विशेषज्ञता इस ब्रांच को भी नया जीवन दे सकती है।
क्यों घट रही है पारंपरिक बीटेक ब्रांचेस की डिमांड?
इस बदलाव के पीछे कई गहरे कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है IT और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का दबदबा। कंप्यूटर साइंस, डेटा साइंस और AI जैसे क्षेत्रों ने स्टूडेंट्स को ग्लोबल अवसर और ऊंचे पैकेज ऑफर किए हैं।
दूसरा कारण है आउटडेटेड सिलेबस जो आज की टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री की मांगों को पूरा नहीं करता। ऑटोमेशन और रोबोटिक्स ने भी पारंपरिक नौकरियों की संख्या कम कर दी है। ऊपर से, भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा इंजीनियर्स ग्रेजुएट होते हैं, जिससे आपूर्ति और मांग में भारी असंतुलन पैदा हो गया है।
बीटेक डिग्री की वैल्यू कैसे बढ़ाएं?
यदि आप पारंपरिक बीटेक ब्रांच से पढ़ाई कर रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कुछ कदम उठाकर आप अपने करियर को नई दिशा दे सकते हैं:
- नई स्किल्स सीखें: Python, C++, डेटा साइंस, AI/ML जैसी स्किल्स सभी ब्रांचेस के लिए फायदेमंद हैं।
- इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट्स करें: इंडस्ट्री के अनुसार प्रोजेक्ट्स करें और इंटर्नशिप लें, इससे रिज्यूमे मजबूत होगा।
- उभरते क्षेत्रों में विशेषज्ञता: जैसे Renewable Energy, साइबर सिक्योरिटी, रोबोटिक्स या ब्लॉकचेन।
- पोस्टग्रेजुएशन: M.Tech या MBA करके अपने स्कोप को बढ़ाएं।
- सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी: GATE या UPSC जैसे एग्जाम की तैयारी करके आप स्थायित्व पा सकते हैं।