CBSE ने जारी किया स्कूलों को निर्देश! छात्रों के लिए 15 जुलाई तक करना होगा ये जरूरी काम

CBSE ने बच्चों में बढ़ती डायबिटीज को रोकने के लिए स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने का आदेश दिया है। इससे छात्र चीनी की सुरक्षित मात्रा, नुकसान और हेल्दी विकल्पों के बारे में जान पाएंगे। स्कूलों को सेमिनार, कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। यह पहल बच्चों की जीवनशैली को स्वस्थ बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।

By GyanOK

CBSE ने जारी किया स्कूलों को निर्देश! छात्रों के लिए 15 जुलाई तक करना होगा ये जरूरी काम

आजकल बच्चों में भी डायबिटीज जैसी बीमारियाँ देखने को मिल रही हैं, जो कि चिंता की बात है। इसलिए CBSE ने एक फैसला लिया है कि अब सभी CBSE स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाए जाएंगे। इन बोर्डों पर छात्रों को चीनी खाने और उसके नुकसान के बारे में बताया जाएगा। इसका मकसद यह है कि बच्चे स्वस्थ रहें और कम उम्र में ही डायबिटीज से बचे रहें।

बच्चों में बढ़ रही डायबिटीज की दर

सीबीएसई के जारी सर्कुलर में यह बात स्पष्ट की गई है कि पिछले दस वर्षों में टाइप-2 डायबिटीज-Type 2 Diabetes से पीड़ित बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह समस्या खासकर उन बच्चों में देखने को मिल रही है जो अत्यधिक मीठे स्नैक्स, कोल्ड ड्रिंक और जंक फूड का सेवन करते हैं। स्कूल परिसर में इन चीजों की सहज उपलब्धता बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। इस परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए, सीबीएसई ने शुगर बोर्ड लगाने के साथ-साथ स्कूलों को स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाने का भी निर्देश दिया है।

CBSE
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शुगर सेवन की अनुशंसित मात्रा और वास्तविक स्थिति

सर्कुलर के अनुसार, 4 से 10 साल के बच्चों को उनकी दैनिक कैलोरी का केवल 5 प्रतिशत ही चीनी से प्राप्त करना चाहिए, जबकि अभी उनकी डाइट में यह मात्रा 13 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है। इसी तरह 11 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए भी 5 प्रतिशत की अनुशंसा है, लेकिन वास्तविकता में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है। यह अंतर दर्शाता है कि बच्चे अनजाने में ही चीनी का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं, जिससे डायबिटीज, मोटापा, और दांतों की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

शुगर बोर्ड का उद्देश्य और कार्यशालाओं की योजना

सीबीएसई के निर्देशों के तहत स्कूलों में लगाए जाने वाले शुगर बोर्ड का मुख्य उद्देश्य बच्चों को Balanced Diet, Healthy Eating Habits और Sugar Intake Awareness के प्रति शिक्षित करना है। इन बोर्ड्स पर जानकारी होगी कि कितना मीठा खाना सुरक्षित है, अत्यधिक मीठा खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं, और शुगर के विकल्प क्या हो सकते हैं जैसे गुड़, शहद, या फ्रूट शुगर। इसके अलावा, यह भी बताया जाएगा कि कोल्ड ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड्स से कैसे बचा जाए।

सीबीएसई ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सिर्फ शुगर बोर्ड लगाना ही काफी नहीं, बल्कि सेमिनार, वर्कशॉप्स और इंटरैक्टिव सेशंस के माध्यम से बच्चों और उनके अभिभावकों को भी इस विषय में जागरूक किया जाए। स्कूलों को यह निर्देश दिया गया है कि वे 15 जुलाई 2025 तक इस अभियान के तहत किए गए कार्यों की एक विस्तृत रिपोर्ट सीबीएसई को सौंपें।

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