
जब हम बैंक खाता खोलते है, इंश्योरेंस पॉलिसी लेते है या कहीं निवेश करते है तो अक्सर हमसे नॉमिनी की जानकारी मांगी जाती है. अक्सर कई लोग सोचते है कि नॉमिनी वह होता है, जिसे आपकी मृत्यु के बाद उस खाते या पॉलिसी से पैसों का अधिकारी मिलता है. आइए जानते है कि मृत्यु की बाद कौन बनता है पूरी संपत्ति का मालिक.
क्या नॉमिनी संपति का मालिक होता है ?
कानूनी रूप से नॉमिनी को सिर्फ संपति की देखभाल करने करने वाला माना जाता है. संपति का असली मालिक वह होता है जिसका नाम वसीयत में लिखा होता है. यदि कोई व्यक्ति अपनी वसीयत में नॉमिनी को ही अपना कानूनी वारिस घोषित करता है, तो उसे संपत्ति का अधिकार मिल सकता है. लेकिन अगर वसीयत में नॉमिनी का नाम नहीं हैं, तो उसे सिर्फ पैसे निकालने या संपति की देखरेख का अधिकार मिलता है.
कौन होता है नॉमिनी ?
नॉमिनी सिर्फ संपत्ति का देखभाल करने वाला होता है, न की मालिक होता है. नॉमिनी का काम यह है कि संपति की सुरक्षा करना और बाद में कानूनी वारिस को उसे सौप देना. उदाहरण – यदि कोई पति अपनी पत्नी को संपत्ति का नॉमिनी बनाता है, तो पत्नी केवल उस संपत्ति की ट्रस्टी होती है, न की मालिक. ऐसी स्थिति में पति के कानूनी उत्तराधिकारी ही उस संपत्ति के असली हकदार होंगे
कानूनी उत्तराधिकारी कौन होते है ?
कानूनी रूप से परिवार के सदस्य ही उत्तराधिकारी होते हैं. जब कोई व्यक्ति अपनी वसीयत में अपनी पत्नी, बच्चे या माता -पिता का नाम लिखते है, तो व्यक्ति की मृत्यु के बाद संपति पर उन्हीं का अधिकारी होता हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के मुताबिक, कानूनी उत्तराधिकारियों को दो हिस्सों में बांटा गया है. सबसे पहले पति/पत्नी, बच्चे और माँ को संपत्ति पर अधिकार मिलता है. दूसरी श्रेणी तब लागू होती है जब पहली श्रेणी में कोई उत्तराधिकार नहीं होता है, ऐसे में वह संपति पिता, पोते-पोतियां, और भाई-बहन की होती है.