
देहरादून में विकास की रफ्तार एक बार फिर विवादों में घिर गई है। एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट (Elevated Road Project) को लेकर प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत करीब 2600 घरों को बुलडोजर कार्रवाई के नोटिस भेजे गए हैं। यह नोटिस देहरादून नगर निगम के अंतर्गत आने वाले कई वार्डों में भेजे गए हैं, जिनमें खासतौर पर धर्मपुर, कांवली और पटेल नगर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस कार्रवाई ने स्थानीय निवासियों में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश फैला दिया है।
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एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट: क्या है योजना?
देहरादून में ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस परियोजना के तहत राजपुर रोड से आईएसबीटी तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा, जिससे शहर की मुख्य सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ कम हो सके। यह प्रोजेक्ट करीब 2000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है, और इसे स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शामिल किया गया है।
तोड़फोड़ की जद में आए 2600 मकान
इस परियोजना को लागू करने के लिए जिन क्षेत्रों से सड़क निकाली जाएगी, वहां स्थित 2600 मकानों को चिन्हित किया गया है। इन सभी घरों को “अवैध निर्माण” की श्रेणी में रखते हुए नगर निगम और जिला प्रशासन ने तोड़फोड़ की नोटिस जारी की है। यह नोटिस 15 से 30 दिनों के भीतर मकान खाली करने और स्वयं तोड़ने के निर्देश के साथ दिया गया है।
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स्थानीय लोगों में गुस्सा और भय
नोटिस मिलते ही इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में अफरातफरी मच गई है। कई लोगों का कहना है कि उनके पास घर के वैध दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें अवैध कब्जेदार करार दिया गया है। प्रभावित नागरिकों का आरोप है कि प्रशासन बिना सुनवाई और पुनर्वास की योजना के ही तोड़फोड़ की कार्रवाई करने जा रहा है।
धर्मपुर क्षेत्र के निवासी सुरेश कक्कड़ ने बताया, “हम पिछले 30 साल से यहां रह रहे हैं। हमारे पास रजिस्ट्री, बिजली का बिल, हाउस टैक्स की रसीदें सब कुछ है। इसके बावजूद हमें नोटिस दे दिया गया।”
राजनीतिक हलकों में भी हलचल
यह मामला अब राजनीतिक तूल भी पकड़ने लगा है। विपक्षी दलों ने सरकार पर विकास के नाम पर गरीबों को उजाड़ने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार बिना पुनर्वास योजना और मुआवजे के लोगों को बेघर करने जा रही है, जो कि पूरी तरह से अनुचित है।
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प्रशासन की सफाई
इस पूरे मुद्दे पर प्रशासन की तरफ से सफाई देते हुए कहा गया है कि जिन घरों को नोटिस भेजा गया है, वे सभी या तो नक्शा पास नहीं करवा पाए हैं या फिर सरकारी जमीन पर बने हैं। नगर आयुक्त का कहना है कि हर मामले की जांच के बाद ही कार्रवाई की जा रही है और यदि किसी के पास वैध दस्तावेज हैं तो वे अपील कर सकते हैं।
पुनर्वास नीति पर सवाल
इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या सरकार ने किसी प्रकार की पुनर्वास योजना तैयार की है? अभी तक कोई ठोस नीति सामने नहीं आई है, जिससे यह स्पष्ट हो कि उजाड़े जाने वाले परिवारों को कहां बसाया जाएगा या उन्हें कितना मुआवजा दिया जाएगा।
भविष्य की तस्वीर
यदि एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट समय पर पूरा होता है, तो यह देहरादून के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहे इस शहर को बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन इसके लिए प्रशासन को आम लोगों की आशंकाओं को दूर करते हुए पारदर्शी और संवेदनशील रवैया अपनाना होगा। नहीं तो यह विकास कार्य जनता के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है।