
उत्तराखंड में एक ऐसा मामला आया, जहां इंश्योरेंस कंपनी को कार मालिक को 4 लाख रुपए का मुआवजा देगा पड़ा. दरअसल कंपनी ने पहले हरविंदर सिंह के बीमा के दावे को ये बोलकर खारिज कर दिया था कि उसके ड्राइवर का ड्राइविंग लाइसेंस खत्म हो चुका था. जिसके बाद कार मालिक ने कोर्ट को बताया कि ड्राइविंग लाइसेंस की समय सीमा खत्म होने के बाद इसे रीन्यू करने में 30 दिन का समय मिलता है. इसी आधार पर उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को हर्जाना देने का निर्देश दिया है.
क्या था मामला?
ये घटना 8 अप्रैल 2017 ऋषिकेश की है. एक दिन पावकी देवी रोड पर अचानक दीवार गिरने से हरविंदर सिंह की कार खाई में जा गिरी, इस हादसे में उसके ड्राइवर जगदीश चौहान की मौत हो गई. कार मालिक ने 2016 में बीमा करवा रखा था और दुर्घटना के समय उनकी बीमा पॉलिसी चालू थी, जिसके आधार पर उन्होंने बिना कंपनियों से इंश्योरेंस की मांग की, लेकिन उन्होंने इंश्योरेंस देने से मना कर दिया. कंपनी का कहना था कि घटना से लगभग 2 हफ्ते पहले 23 मार्च 2017 को ड्राइवर का लाइसेंस एक्सपायर हो चुका था, जिसकी वजह से उन्हें बीमा इंश्योरेंस का फायदा नही मिलेगा.
जिला उपभोक्ता आयोग पहुंचा मामला
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब कार मालिक ने जिला उपभोक्ता आयोग से शिकायत की. उन्होंने बीमा कंपनी पर इंश्योरेंस खारिज करने की शिकायत की, जिसके बाद अक्टूबर 2022 में जिला आयोग ने हरविंदर सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया. कार मालिक ने वकील ने बताया कि मोटर वाहन कानून के तहत, ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू करने के लिए 30 दिनों का समय मिलता है. लेकिन ड्राइवर की मौत इसी समय अंतराल के अंदर हो गई थी, जिस वजह से राज्य आयोग भी इस बात से सहमत हो गया. अब बीमा कंपनी को सिंह को मुआवजा देना होगा.
मुआवज़े की राशि घटाई गई
कार मालिक ने पहले 6 लाख रुपए मुआवज़े की मांग रखी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 4 लाख रुपए कर दिया. पैनल का कहना था कि पहले मांगी गई राशि बहुत ज्यादा थी. साथ ही इंश्योरेंस कंपनी को ये आदेश दिया गया है कि वह 2017 में शिकायत दर्ज करने की तारीख से 9% सालाना ब्याज दे और इसके अलावा मुकदमे के खर्च के तौर पर 5,000 रुपये भी दे. यानी कि कंपनी को अब 4 लाख रुपए, उस पर ब्याज और मुकदमे का खर्च चुकाना होगा.