सैलरी से ज्यादा खर्च पेंशन पर! केंद्र सरकार की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता, क्या 8वें वेतन आयोग पर पड़ेगा असर?

2025-26 के केंद्रीय बजट में पेंशन और वेतन खर्च का बदलता संतुलन भारत सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं और संरचनात्मक बदलावों की ओर संकेत करता है। जहां एक ओर वेतन खर्च में गिरावट दिखाई देती है, वहीं पेंशन और भत्तों के खर्च में वृद्धि यह दर्शाती है कि सरकार अपने कर्मचारियों की सेवा शर्तों को पुनः परिभाषित कर रही है। इस बदलते परिदृश्य में 8वें वेतन आयोग की भूमिका और भी अहम हो जाती है।

By GyanOK

सैलरी से ज्यादा खर्च पेंशन पर! केंद्र सरकार की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता, क्या 8वें वेतन आयोग पर पड़ेगा असर?
8th Pay Commission

2025-26 के बजट में केंद्र सरकार के पेंशन-पेमेंट और सैलरी-स्ट्रक्चर को लेकर एक दिलचस्प रुझान सामने आया है। बजट प्रोफाइल दस्तावेजों के अनुसार, साल 2023-24 से पेंशन पर खर्च सैलरी से अधिक हो गया है, और यह अंतर 2025-26 तक और बढ़ने की संभावना है। इस बदलाव का असर भविष्य में लागू होने वाले 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) पर भी दिख सकता है। यह लेख इस रुझान की गहराई से पड़ताल करता है और सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं में आ रहे बदलाव को समझने की कोशिश करता है।

पेंशन खर्च सैलरी से आगे, क्यों और कैसे हुआ यह बदलाव

वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार का अनुमान है कि सैलरी पर ₹1.66 लाख करोड़ और पेंशन पर ₹2.77 लाख करोड़ खर्च होंगे। यह पहली बार नहीं है जब पेंशन खर्च ने सैलरी को पीछे छोड़ा है, लेकिन यह प्रवृत्ति अब स्थायी रूप लेती दिख रही है। खास बात यह है कि 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में सैलरी मद में ₹1 लाख करोड़ की तेज गिरावट देखी गई, जो अगले वर्षों में भी बनी रही। यह बदलाव दर्शाता है कि सरकारी नियुक्तियों में स्थिरता आई है या नई नियुक्तियों की गति धीमी पड़ी है।

कुल खर्च में कटौती नहीं, बस पुनर्वर्गीकरण हुआ है

हालांकि सैलरी खर्च में कमी आई है, कुल स्थापना व्यय (Establishment Expenditure) में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं हुई। बजट दस्तावेजों में यह स्पष्ट है कि ‘वेतन’ और ‘पेंशन’ के अलावा ‘अन्य’ श्रेणी के खर्च में तेजी से वृद्धि हुई है। इसका सीधा संकेत है कि सरकार ने अपने कर्मचारियों से जुड़े खर्चों को केवल एक नई ढाँचागत रूपरेखा में वर्गीकृत किया है, न कि उसे कम किया है। इस पुनर्वर्गीकरण का असर बजट के ‘खर्च प्रोफाइल’ हिस्से में साफ झलकता है।

भत्तों की बढ़ती हिस्सेदारी: नई सैलरी स्ट्रक्चर की झलक

2017-18 से अब तक, कर्मचारियों पर होने वाले कुल खर्च में कोई ठहराव नहीं आया है। लेकिन अब यह खर्च तीन प्रमुख श्रेणियों में बंट गया है – वेतन, भत्ते (Allowance) और यात्रा व्यय। खास बात यह है कि 2023-24 से वेतन में महंगाई भत्ता (Dearness Allowance), मकान किराया भत्ता (HRA) आदि को निकाल कर अलग ‘भत्ते’ मद में रखा गया है। इस बदलाव के कारण सैलरी मद में गिरावट आई, लेकिन भत्तों के आवंटन में तेज़ बढ़ोतरी देखी गई। यह न केवल आंकड़ों की प्रस्तुति को प्रभावित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सैलरी अब सिर्फ बेसिक पे (Basic Pay) तक सीमित होती जा रही है।

8वें वेतन आयोग और भविष्य की चुनौतियाँ

सरकार ने संकेत दिए हैं कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें संभवतः 2027 से प्रभावी होंगी। हर वेतन आयोग के कार्यान्वयन के समय महंगाई भत्ते को मूल वेतन में समाहित कर दिया जाता है, जिससे ‘वेतन’ मद में अचानक बढ़ोतरी होती है। यदि यह विलंब होता है, तो महंगाई भत्ते का अनुपात बेसिक पे की तुलना में और बढ़ जाएगा। इससे सरकार की सैलरी लायबिलिटी में भी इज़ाफा होगा।

2027 में जब 8वां वेतन आयोग लागू होगा, तो बजट प्रोफाइल में ‘वेतन’ मद में अचानक एक बड़ा उछाल देखा जाएगा। इसका कारण यह होगा कि वर्तमान में जो भत्तों में दिख रहा खर्च, वह सब मूल वेतन के साथ जुड़ जाएगा। यह वित्तीय दृष्टिकोण से सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है।

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