
भारत में बिना बनाए किसी की कॉल्स रिकॉर्ड करना बहुत बड़ा जुर्म है, इसके लिए नियम और कानून भी बनाए गए है. आज के समय में सभी फोन में कॉल्स रिकॉर्ड का फीचर आता है, लोग इसे बातचीत का सबूत रखने और कई बातों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब सवाल उठता है कि क्या किसी की इजाजत के बिना कॉल रिकॉर्ड करना कानूनी रूप से सही है या नहीं. आइए जानते है कॉल्स रिकॉर्डिंग के जुड़े नियम.
कॉल रिकॉर्ड करना गैरकानूनी है या नहीं ?
कॉल्स रिकॉर्ड करना कई मामलों में गैरकानूनी होता है और कई बार नहीं भी. कॉल्स रिकॉर्ड की अपनी शर्ते होती है. सबसे जरूरी बात यह है कि अगर आपने सामने वाले व्यक्ति से कॉल्स रिकॉर्डिंग की इजाज़त ली है तो यह पूरी तरह से कानूनी है. वहीं अगर आपने बिना बताए किसी की कॉल रिकॉर्ड की है तो ये उस व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा और इस मामले में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. इसलिए कभी भी किसी की रिकॉर्डिंग करने से पहले उसकी अनुमति जरूर ले. ये आप दोनों की सुरक्षा के लिए जरूरी है.
भारत में कॉल रिकॉर्डिंग से जुड़े कानून
- भारत में बिना किसी व्यक्ति की अनुमति के बिना उसकी कॉल्स रिकॉर्ड करना गैरकानूनी है.
- बिना अनुमति के ऐसा काम करना व्यक्ति के निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन माना जाता है.
- भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत बिना इजाज़त के कॉल रिकॉर्डिग करके उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना एक अपराध है.
- कॉल्स रिकॉर्ड करके उसका गलत उपयोग करने पर आपको जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है, इसके अलावा आप पर रिकॉर्डिंग को जासूसी, धोखाधड़ी या ब्लैकमेलिंग जैसे गंभीर आरोप लग सकते हैं.
बिना अनुमति कॉल रिकॉर्ड करने पर कौन-सी सज़ा मिलेगी ?
बिना किसी की अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करके उसका गलत काम में इस्तेमाल करना कानूनी अपराध है. ऐसे मामलों में आप पर ई धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है. इनमें IPC की धारा 354D शामिल है, स्टॉकिंग या पीछा करने के मामले में, आईटी एक्ट की धारा 66E प्राइवेसी भंग करने और IPC की धारा 499 और 500 मानहानि या बदनामी फैलाने पर लागू होती हैं. इस जुर्म के लिए 3 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं.