LIC का बड़ा दांव! अडानी की इस कंपनी में झोंके ₹5000 करोड़—जानिए क्या है गेम प्लान

LIC ने अडानी पोर्ट्स के बॉन्ड में ₹5000 करोड़ झोंक दिए हैं। जानिए क्यों LIC ने इतनी बड़ी रकम लगाई, क्या मिलेगा उसे इसके बदले और अडानी इस पैसे का क्या करेगा? ये डील भारत के निवेश बाजार में क्या नया मोड़ ला सकती है?

By GyanOK

LIC का बड़ा दांव! अडानी में ₹5000 करोड़ की निवेश

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह केवल बीमा कंपनी नहीं, बल्कि भारत की सबसे बड़ी निवेशक संस्थाओं में से एक है। हाल ही में LIC ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (Adani Ports and SEZ Ltd) के ₹5000 करोड़ के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) इश्यू को पूरी तरह सब्सक्राइब कर लिया है। यह निवेश ऐसे वक्त पर हुआ है जब अडानी समूह वैश्विक नजरों में फिर से स्थिरता की ओर लौट रहा है।

इस निवेश की खास बात यह है कि यह 15 साल की अवधि वाला डिबेंचर है, जो अब तक का अडानी ग्रुप का सबसे लंबी अवधि वाला रुपये-मूल्यवर्ग का बॉन्ड है। LIC को इस डील में सालाना 7.75% का ब्याज मिलेगा, जिससे यह डील वित्तीय दृष्टिकोण से काफी आकर्षक बन जाती है। ऐसे समय में जब मार्केट में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव हो रहा है, एक स्थिर और लॉन्ग-टर्म इनकम सोर्स किसी भी निवेशक के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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LIC की रणनीति और भरोसा

LIC का यह कदम कोई आकस्मिक फैसला नहीं है, बल्कि यह उसकी गहरी रणनीतिक सोच और भरोसे को दर्शाता है। अडानी पोर्ट्स पहले से ही LIC के पोर्टफोलियो में एक बड़ा नाम है और इस डील के बाद LIC अब इस कंपनी की सबसे बड़ी बॉन्डहोल्डर बन गई है। यह निवेश संस्था की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें वह लॉन्ग-टर्म गारंटीड रिटर्न वाले विकल्पों को प्राथमिकता देती है।

अडानी पोर्ट्स के इस बॉन्ड से LIC को सुरक्षित रिटर्न मिलेगा और साथ ही उसे भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के ग्रोथ में भागीदार बनने का अवसर भी मिलेगा। यह सौदा सिर्फ एक वित्तीय निवेश नहीं बल्कि एक दीर्घकालिक सहयोग का संकेत है।

अडानी पोर्ट्स का प्लान क्या है?

अडानी पोर्ट्स इस फंडिंग का इस्तेमाल मुख्य रूप से कर्ज पुनर्वित्त (Debt Refinancing) के लिए करेगा। कंपनी की योजना है कि वह अल्पकालिक और ऊंची ब्याज दर वाले कर्ज को दीर्घकालिक और सस्ते ऋण में बदले। इस रणनीति से कंपनी की पूंजी लागत में भारी गिरावट आएगी। वित्त वर्ष 2024 में जहां अडानी पोर्ट्स की औसत फंडिंग लागत 9.02% थी, वहीं अब यह घटकर 7.92% पर आ चुकी है।

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इस डील के बाद अडानी पोर्ट्स की क्रेडिट प्रोफाइल और मजबूत होगी। कंपनी के प्रवक्ता ने बयान में कहा है कि उनका लक्ष्य “दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत परिवहन उपयोगिता कंपनी” बनने का है, और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दीर्घकालिक पूंजी निवेश एक जरूरी कदम है।

क्या है इस डील की व्यापकता?

₹5000 करोड़ की यह डील भारतीय कॉरपोरेट डेब्ट मार्केट के लिए भी एक बड़ा संकेत है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की सबसे बड़ी निवेशक संस्थाएं अब कॉरपोरेट डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स को लेकर पहले से अधिक कॉन्फिडेंट हो चुकी हैं। यह ट्रेंड भारत की आर्थिक संरचना के लिए अच्छा संकेत है, खासकर उस समय जब इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को नई ऊर्जा की जरूरत है।

वहीं दूसरी ओर यह निवेश इस बात का प्रमाण है कि LIC जैसी संस्थाएं सिर्फ इक्विटी या सरकारी बॉन्ड्स तक सीमित नहीं हैं। वे अब गहराई से सोच-समझकर कॉर्पोरेट सेक्टर में भी अपने पांव जमा रही हैं।

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