
Gensol Engineering Limited, जो Renewable Energy क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी है, वर्तमान में गंभीर नेतृत्व संकट का सामना कर रही है। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) जबिरमहेंदी मोहम्मदराज़ा आगा ने 16 मई 2025 को तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका यह निर्णय कंपनी में चल रही कई नियामकीय जांचों और आंतरिक अव्यवस्थाओं के कारण लिया गया है।
आगा ने अपने इस्तीफे में उल्लेख किया कि कंपनी विभिन्न नियामकीय एजेंसियों की जांचों का सामना कर रही है, और शीर्ष प्रबंधन के इस्तीफों के बाद संगठन में अस्थिरता बढ़ गई है। उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न विभागों में महत्वपूर्ण डेटा का अव्यवस्थित होना जांचों का प्रभावी ढंग से जवाब देने में बाधा बन रहा है। इस स्थिति ने उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे उन्होंने अपने कर्तव्यों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता महसूस की।
प्रमोटरों का इस्तीफा और SEBI की कार्रवाई
CFO के इस्तीफे से कुछ दिन पहले, कंपनी के प्रबंध निदेशक अनमोल सिंह जग्गी और पूर्णकालिक निदेशक पुनीत सिंह जग्गी ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। यह इस्तीफे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा 15 अप्रैल 2025 को जारी अंतरिम आदेश के बाद आए, जिसमें उन्हें प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किया गया था। SEBI ने आरोप लगाया था कि कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग हुआ है और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में गंभीर खामियां हैं।
SEBI की जांच में पाया गया कि इलेक्ट्रिक वाहन (EV) खरीद के लिए प्राप्त फंड्स को प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं में स्थानांतरित किया गया और व्यक्तिगत खर्चों के लिए उपयोग किया गया, जिसमें एक लक्ज़री अपार्टमेंट की खरीद और परिवार के सदस्यों को फंड ट्रांसफर शामिल हैं।
IREDA द्वारा दिवालियापन की कार्यवाही
कंपनी की वित्तीय स्थिति और भी जटिल हो गई जब भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) ने Gensol Engineering के खिलाफ ₹510 करोड़ के डिफॉल्ट के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालियापन याचिका दायर की। NCLT ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और कंपनी को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 3 जून 2025 को निर्धारित है।
IREDA के अनुसार, Gensol ने वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2023-24 के बीच IREDA और पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) से कुल ₹977.75 करोड़ के ऋण प्राप्त किए थे, जिनमें से ₹663.89 करोड़ 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए निर्धारित थे। हालांकि, कंपनी ने केवल 4,704 वाहन खरीदे, जिनकी कुल लागत ₹567.73 करोड़ थी, जिससे लगभग ₹262 करोड़ का हिसाब नहीं मिल पाया।
BluSmart Mobility पर प्रभाव
Gensol के प्रमोटरों द्वारा सह-स्थापित इलेक्ट्रिक राइड-हेलिंग कंपनी BluSmart Mobility भी इस संकट से प्रभावित हुई है। SEBI के आदेश के बाद, BluSmart ने अप्रैल 2025 में नकदी संकट और फंडिंग में विफलता के कारण अपने संचालन को निलंबित कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, कई ऋणदाताओं और लीजिंग कंपनियों ने BluSmart के वाहनों को जब्त करना शुरू कर दिया है।
कंपनी की प्रतिक्रिया और आगे की राह
Gensol Engineering ने SEBI के अंतरिम आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) में अपील की है। SAT ने कंपनी को दो सप्ताह के भीतर SEBI के आदेश का औपचारिक जवाब दाखिल करने की अनुमति दी है, और SEBI को चार सप्ताह के भीतर अंतिम आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।
हालांकि, कंपनी ने अभी तक चल रही जांचों या नियामकीय जांचों की प्रकृति पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है। नेतृत्व में इस बड़े पैमाने पर हुए इस्तीफों के बाद, कंपनी की स्थिरता और भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं उठ रही हैं।