
अब पैकेज्ड फूड-Packaged Food पर “100% शुद्ध” लिखना कंपनियों को भारी पड़ सकता है। FSSAI यानी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने सख्ती दिखाते हुए सभी खाद्य कंपनियों को चेतावनी दी है कि वे अपने लेबल्स, विज्ञापनों और पैकेजिंग में भ्रामक दावों का इस्तेमाल न करें। उपभोक्ता को भ्रमित करने वाली लाइनें जैसे “100% Pure”, “100% Fruit Juice” अब अवैध मानी जाएंगी। सरकार की इस नई गाइडलाइन से न सिर्फ फूड इंडस्ट्री में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि ग्राहक भी सही जानकारी के आधार पर खरीदारी कर पाएंगे।
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FSSAI का तर्क
FSSAI ने कहा है कि कोई भी उत्पाद 100% शुद्ध नहीं हो सकता क्योंकि फूड प्रोसेसिंग के दौरान कई तरह की तकनीकी मिलावट या संरक्षक मिलाए जाते हैं। ऐसे में किसी भी कंपनी का अपने उत्पाद को पूरी तरह शुद्ध बताना भ्रामक है और इसे रोकना जरूरी है। यह कदम उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है ताकि कोई भी कंपनी मार्केटिंग के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ न कर सके।
पैकेज्ड फूड पर न्यूट्रिशन लेबलिंग होगी और सख्त
इस आदेश के साथ ही एक और बड़ा नियम सामने आया है। अब हर पैकेज्ड फूड पर कुल चीनी, संतृप्त वसा (Saturated Fat), और सोडियम (Sodium) की मात्रा को बड़े और बोल्ड फॉन्ट में लिखना जरूरी होगा। सरकार का मकसद है कि उपभोक्ता आसानी से यह जानकारी पढ़ सकें और यह तय कर सकें कि क्या यह उत्पाद उनके स्वास्थ्य के लिए सही है या नहीं। यह नियम उन लोगों के लिए और भी जरूरी हो जाता है जो डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी जैसी दिक्कतों से जूझ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
सिर्फ FSSAI ही नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में गंभीरता दिखाई है। हाल ही में कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह पैकेज्ड फूड्स पर चेतावनी लेबल (Warning Labels) को अनिवार्य करने के लिए नियमों में संशोधन करे। कोर्ट ने कहा कि खाद्य पदार्थों के लेबल्स पर स्पष्ट चेतावनी दी जानी चाहिए ताकि उपभोक्ता को यह मालूम हो सके कि वह क्या खा रहा है और यह उसकी सेहत पर क्या असर डालेगा।
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सेहत को लेकर जागरूकता के बीच आया यह फैसला
यह बदलाव ऐसे वक्त पर आए हैं जब भारत में हेल्थ अवेयरनेस तेजी से बढ़ रही है और लोग अब सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, सेहत को ध्यान में रखकर भी खरीदारी कर रहे हैं। फूड कंपनियां अब तक “हेल्दी” दिखाने के लिए चमकदार लेबल और झूठे दावे करती थीं, लेकिन इन नए नियमों के बाद यह सब इतना आसान नहीं रहेगा। अगर कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर FSSAI की ओर से कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
कंपनियों को करना होगा पैकेजिंग डिज़ाइन में बदलाव
सरकार ने साफ कर दिया है कि इन नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा और अगर कोई ब्रांड इससे बचने की कोशिश करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द तक किया जा सकता है। साथ ही, पैकेजिंग डिजाइन में भी बदलाव करना पड़ेगा ताकि प्रमुख जानकारी ग्राहकों की नजर में सबसे पहले आए। उदाहरण के तौर पर, अब अगर किसी जूस के पैक में 30% चीनी है, तो यह जानकारी bold और बड़े अक्षरों में सामने होनी चाहिए, छुपी हुई नहीं।
ग्राहकों को मिलेगा खाने का असली सच
इन सभी नियमों का उद्देश्य है कि भारतीय ग्राहक, खासकर शहरी युवा, अपने फूड चॉइसेस को लेकर ज्यादा जागरूक बनें। हेल्दी डाइट और सही जानकारी ही आज की सबसे बड़ी जरूरत है, खासकर तब जब प्रोसेस्ड फूड्स की खपत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
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