
केंद्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग-8th Pay Commission को हरी झंडी मिलने के साथ ही देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगियों की निगाहें अब सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिसंबर में दिए गए संकेत के बाद से उम्मीद की जा रही थी कि नया पे कमीशन जल्द गठित किया जाएगा। अब जबकि आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है, कर्मचारियों को केवल अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का इंतजार है। माना जा रहा है कि मई के अंत तक आयोग का गठन हो सकता है, जिससे 1 जनवरी 2026 से पहले सिफारिशें लागू की जा सकें।
फिटमेंट फैक्टर में जबरदस्त उछाल की संभावना
वेतन बढ़ोतरी के सबसे बड़े आधार फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा 2.28 से 2.86 के बीच तय किया जा सकता है, जिससे कर्मचारियों के मासिक वेतन में 40% से 50% तक की वृद्धि संभव है। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी ₹20,000 है, तो यह बढ़कर ₹46,600 से ₹57,200 तक पहुंच सकती है।
इतिहास गवाह है भारी वेतनवृद्धि का
पिछले वेतन आयोगों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि हर बार केंद्रीय कर्मचारियों को भारी राहत मिली है। 5वें वेतन आयोग के समय जहां बेसिक सैलरी मात्र ₹2,750 थी, वहीं 6वें वेतन आयोग में यह ₹7,000 और 7वें में ₹18,000 तक पहुंच गई। यानी इस अवधि में कुल 554% की अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इसी ऐतिहासिक ट्रेंड को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आठवें वेतन आयोग में भी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिल सकती है।
डिफेंस कर्मचारियों और पेंशनर्स को भी मिलेगा सीधा फायदा
वेतन आयोग का लाभ केवल सिविल कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि डिफेंस डिपार्टमेंट के जवानों और पेंशनभोगियों को भी इसका सीधा फायदा मिलेगा। करीब 36 लाख केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनर्स इस फैसले की बाट जोह रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या में डिफेंस कार्मिक शामिल हैं।
क्या सचमुच 186% तक बढ़ेगी सैलरी?
वेतन में वृद्धि की गणना फिटमेंट फैक्टर के आधार पर होती है। यदि नया फिटमेंट फैक्टर 2.86 निर्धारित होता है, तो वर्तमान सैलरी में लगभग 186% तक की वृद्धि संभव है। उदाहरण के लिए:
नई बेसिक सैलरी = पुरानी बेसिक सैलरी × फिटमेंट फैक्टर
7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिसने वेतन में बड़ी छलांग लगाई थी। 8वें वेतन आयोग में यदि यह बढ़ता है, तो यह देश के आर्थिक परिदृश्य में भी अहम भूमिका निभा सकता है, खासकर खपत और बाजार में मांग को लेकर।