UP वालों ने मारी बाज़ी! दिल्ली-महाराष्ट्र को पीछे छोड़कर रचा नया रिकॉर्ड

उत्तर प्रदेश ने EV के मैदान में मारी सबसे बड़ी बाज़ी! ई-रिक्शा से लेकर टू-व्हीलर तक सबमें टॉप पर है योगी का यूपी। दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे दिग्गज भी रह गए पीछे—जानिए इस जबरदस्त सफलता की पूरी कहानी।

By GyanOK

उत्तर प्रदेश ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। जहां दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्य पहले इस रेस में सबसे आगे माने जाते थे, वहीं अब उत्तर प्रदेश ने न केवल इन्हें पछाड़ा है बल्कि देशभर में EV पंजीकरण के मामले में पहला स्थान हासिल किया है। इस उपलब्धि ने न केवल राज्य के पर्यावरणीय दृष्टिकोण को मजबूत किया है बल्कि रोजगार और व्यापार की संभावनाएं भी कई गुना बढ़ाई हैं।

पिछले कुछ वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लेकर जिस गंभीरता से काम किया है, उसका असर अब सामने आने लगा है। EV नीति से लेकर सब्सिडी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और निजी कंपनियों को प्रोत्साहन देने जैसे ठोस कदमों ने उत्तर प्रदेश को ई-वाहनों के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बना दिया है।

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ई-रिक्शा से शुरू हुई क्रांति

EV रजिस्ट्रेशन में उत्तर प्रदेश ने एक ऐसा आंकड़ा पार किया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। राज्य में 4 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन अब तक पंजीकृत हो चुके हैं। खास बात यह है कि इनमें अकेले ई-रिक्शा की हिस्सेदारी करीब 85% है, जिससे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के आम लोगों ने सबसे पहले इस ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाया।

ई-रिक्शा, जो मुख्यतः शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में छोटे स्तर पर इस्तेमाल होता है, अब एक बड़ा मार्केट बन चुका है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है और सार्वजनिक परिवहन की सुविधा भी बेहतर हुई है। योगी सरकार ने इसके लिए चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था, आसान फाइनेंसिंग और EV खरीद पर टैक्स में छूट जैसे कई प्रोत्साहन दिए हैं।

निवेश और लॉ एंड ऑर्डर ने भी दिया बड़ा बूस्ट

उत्तर प्रदेश की बढ़त सिर्फ EV तक सीमित नहीं है। केंद्र सरकार के नए आंकड़ों के मुताबिक, कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के मामले में भी यूपी ने दिल्ली को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है। महाराष्ट्र के बाद अब उत्तर प्रदेश ही वह राज्य है जहां सबसे अधिक नए व्यवसाय रजिस्टर्ड हो रहे हैं।

लॉ एंड ऑर्डर के क्षेत्र में सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, एक्सप्रेसवे, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं ने राज्य में निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। यही वजह है कि EV निर्माता कंपनियों से लेकर सप्लाई चेन वेंडर्स तक, सभी की नजरें अब उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं।

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दोपहिया वाहनों की बिक्री में भी यूपी टॉप पर

एक अन्य बड़ी उपलब्धि की बात करें तो दोपहिया वाहनों की बिक्री में उत्तर प्रदेश ने बाकी सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। साल 2024-25 के पहले 10 महीनों में यहां 28.43 लाख दोपहिया वाहन बिके, जो देश में सबसे अधिक हैं। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि राज्य के लोग अब तेजी से EV के विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं।

सरकार की योजना है कि 2030 तक राज्य में पंजीकृत वाहनों में कम से कम 30% इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हों। इसके लिए न सिर्फ शहरों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी चार्जिंग स्टेशन और EV डीलरशिप खोलने पर जोर दिया जा रहा है। यह एक लंबी दूरी की नीति है जो आने वाले वर्षों में यूपी को देश में ग्रीन मोबिलिटी का मॉडल बना सकती है।

EV के साथ-साथ आर्थिक विकास का नया युग

उत्तर प्रदेश की यह प्रगति केवल पर्यावरण के लिहाज से ही नहीं बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है। ई-वाहनों से जुड़ा हर सेक्टर जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग, मेंटेनेंस, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, बैटरी रीसाइक्लिंग आदि में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

नए स्टार्टअप्स, MSMEs और यूनिकॉर्न्स को लेकर भी यूपी सरकार कई योजनाओं पर काम कर रही है। यह बदलाव आने वाले वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूती देगा।

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