भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने सोमवार को जानकारी दी कि अंडमान सागर में कच्चे तेल और गैस का एक विशाल भंडार मिलने के संकेत मिले हैं. अगर यह आंकलन सही निकलता है, तो भारत को यहां से करीब दो लाख करोड़ लीटर कच्चे तेल का भंडार मिल सकता है.

तेल की खोज से बदलेगी देश की दिशा
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, अंडमान में हो रही तेल की खोज एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है. अगर अनुमानित भंडार की पुष्टि होती है, तो इससे न सिर्फ भारत की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि देश की जीडीपी भी पांच गुना तक बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि यह भंडार हाल ही में गुयाना में मिले 11.6 अरब बैरल तेल के बराबर हो सकता है.
भारत की ऊर्जा पर निर्भरता होगी कम
अगर अंडमान में तेल के ये भंडार वास्तविक रूप में सामने आते हैं, तो भारत को तेल के आयात पर अपनी निर्भरता घटाने का मौका मिलेगा. इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा कदम होगा.
ईरान-इजरायल तनाव से बिगड़ सकता है गणित
तेल के वैश्विक परिदृश्य पर बात करते हुए पुरी ने बताया कि वर्तमान में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव से भी भारत के लिए खतरे की स्थिति बन सकती है. खासतौर पर होर्मुज जलडमरूमध्य अगर युद्ध के चलते बंद होता है, तो भारत को तेल और गैस के आयात में भारी दिक्कतें और कीमतें झेलनी पड़ सकती हैं.
व्यापारिक रिश्तों पर असर
गौरतलब है कि भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में ईरान को 1.24 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया और 44.19 करोड़ डॉलर का आयात किया. वहीं इजरायल के साथ व्यापार में भी भारत की बड़ी हिस्सेदारी है. ऐसे में वैश्विक तनाव से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय है.
अब सबकी नजर अंडमान पर
अंडमान सागर में तेल और गैस की खोज को लेकर देशभर में उत्सुकता बनी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रयास सफल रहता है, तो भारत वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर एक नई पहचान बना सकता है और देश की आर्थिक दशा में क्रांतिकारी बदलाव संभव है.