
सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय की जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी ने रक्षा मंत्रालय की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा कर रखा है, तो सरकार अब JAG अफसरों की मदद से वो जमीन एक-एक इंच करके वापस लेगी.
जमीन पर कब्जा करने का मामला
मीडिया के अनुसार, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने एक अहम सुनवाई की. यह मामला रक्षा मंत्रालय की जमीनों पर हुए अवैध कब्जों से संबंधी था, जिसे एक जनहित याचिका के तहत उठाया गया था. वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि CAG ने पहले ही सलाह दी थी कि रक्षा भूमि की समय-समय पर जाँच होनी चाहिए और इसके प्रबंधन के लिए एक अलग संस्था बनानी चाहिए.
रक्षा मंत्रालय की 17 लाख एकड़ जमीन का मामला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की बेंच ने एक अहम याचिका पर सुनवाई की. याचिका में बताया गया कि रक्षा मंत्रालय के पास कुल 17 लाख एकड़ जमीन है. इसमें से 1.6 लाख एकड़ जमीन छावनी इलाकों में है और बाकी 16 लाख एकड़ बाहर है. लेकिन सरकार सिर्फ 75,000 एकड़ जमीन का ही हिसाब दे पाई है, जो की कुल जमीन का 5% से भी कम है. ये मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.
2,000 एकड़ जमीन पर निजी लोगों का कब्जा
भूषण ने कोर्ट को बताया कि 2,000 एकड़ जमीन पर निजी लोगों ने कब्जा कर रखा है, वहीं 1,500 एकड़ जमीन पर खेती करने वालों का गैरकानूनी कब्ज़ा है. हैरानी वाली बात यह है कि 2017 में 87% जमीन सरकारी कागजों में दर्ज थी, जो अब घटकर 85% ही रह गई है.