वक्फ को लेकर केंद्र सरकार क्यों है कानून बनाने को आतुर, वक्फ कैसे बना तीसरा सबसे ज्यादा जमीन वाली संस्था

वक्फ अधिनियम में केंद्र सरकार द्वारा 2025 में प्रस्तावित संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। यह संशोधन वक्फ बोर्ड की बढ़ती शक्तियों को संतुलित करेगा, गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करेगा और संपत्ति पर दावा करने की प्रक्रिया में सत्यापन और ऑडिट को अनिवार्य बनाएगा। इससे सामाजिक समरसता और कानूनी स्पष्टता को बल मिलेगा।

By GyanOK

वक्फ को लेकर केंद्र सरकार क्यों है कानून बनाने को आतुर, वक्फ कैसे बना तीसरा सबसे ज्यादा जमीन वाली संस्था
Waqf Act

वक्फ अधिनियम-Waqf Act में केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन 2025 में सुर्खियों में है, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड-Waqf Board की व्यापक शक्तियों को संतुलित करना और वक्फ संपत्तियों-Waqf Properties के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। पिछले कुछ वर्षों में वक्फ बोर्ड को ऐसे अधिकार मिले, जिनका प्रयोग करते हुए उसने कई बार निजी, सरकारी और अन्य धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों पर दावा कर विवादों को जन्म दिया। यह संशोधन इन्हीं जटिलताओं को दूर करने और एक अधिक पारदर्शी प्रणाली की स्थापना की दिशा में उठाया गया कदम है।

वक्फ बोर्ड की शक्ति और उससे उपजते विवाद

1995 और 2013 में वक्फ अधिनियम में हुए संशोधनों के बाद वक्फ बोर्ड को संपत्तियों पर दावा करने का कानूनी अधिकार प्राप्त हुआ। यह अधिकार कई बार विवादों की जड़ बना, जहाँ वक्फ बोर्ड ने ऐसे भू-भागों पर दावा किया जो पहले से किसी निजी व्यक्ति, सरकारी विभाग या अन्य धार्मिक संस्था के अधीन थे। इससे न्यायालयों में मामलों की संख्या बढ़ी और सामाजिक समरसता पर भी असर पड़ा।

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का विस्तार और प्रबंधन

देशभर में वक्फ बोर्ड के अधीन लगभग 9.4 लाख एकड़ भूमि है, जो भारत में रक्षा मंत्रालय और रेलवे के बाद तीसरा सबसे बड़ा भू-स्वामी बनाता है। इस विशाल भूमि क्षेत्र का सही और न्यायपूर्ण प्रबंधन न केवल मुस्लिम समुदाय बल्कि देश के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। लेकिन अभी तक इसकी निगरानी और उपयोग में पारदर्शिता की कमी स्पष्ट रूप से महसूस की जाती रही है।

प्रस्तावित संशोधन: जवाबदेही और सुधार का रास्ता

2025 में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए संशोधन में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। सबसे पहले, वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले कलेक्टर से सत्यापन कराना अनिवार्य किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर मनमाने ढंग से दावा नहीं कर सकेगा, और विवाद की संभावना कम होगी।

दूसरा बड़ा बदलाव यह है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। ये सदस्य धार्मिक निर्णयों में भाग नहीं लेंगे, बल्कि प्रशासनिक और वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने में सहायक होंगे। इससे बोर्ड की कार्यप्रणाली में विविधता और निष्पक्षता आएगी।

इसके साथ-साथ वक्फ संपत्तियों का नियमित ऑडिट और निगरानी की जाएगी। इससे उनके उपयोग की दिशा पर नजर रखी जा सकेगी और आय का सही उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।

कानूनी चुनौतियाँ और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

इन संशोधनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गई हैं, जहाँ केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि वक्फ एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है और इसके प्रावधान संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता की भावना के अनुरूप हैं। सरकार का तर्क है कि इन बदलावों का उद्देश्य किसी धर्म विशेष को लक्षित करना नहीं, बल्कि एक जवाबदेह प्रशासनिक प्रणाली की स्थापना करना है।

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