
सोलर इक्विपमेंट एक्सपोर्ट से जुड़े इंडियन कारोबारियों के लिए हाल ही में एक नई चुनौती उभरकर सामने आई है। अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ वॉर का फायदा उठाने का जो सपना भारतीय कंपनियां देख रही थीं, वह अब टूटता नजर आ रहा है। इसकी बड़ी वजह अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पास हुआ वह बिल है, जिसमें सोलर पैनल्स पर मिलने वाली टैक्स छूट (Tax Incentives) को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है।
अगर यह बिल सीनेट से भी पारित हो जाता है, तो अमेरिका में Renewable Energy से जुड़े सोलर मार्केट को झटका लग सकता है। इसका सीधा असर भारतीय कंपनियों द्वारा किए जा रहे सोलर इक्विपमेंट-Equipment एक्सपोर्ट पर पड़ सकता है।
सीनेट की मंजूरी बनी चिंता का सबब
जेफरीज इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पहले से ही सोलर मॉड्यूल्स की इनवेंट्री काफी अधिक मात्रा में मौजूद है। ऐसे में अगर टैक्स इनसेंटिव हटा दिए जाते हैं, तो वहां इन उत्पादों की मांग में तेज गिरावट आ सकती है। यह उन भारतीय कंपनियों के लिए खतरे की घंटी है, जो अपने बड़े-बड़े ऑर्डर अमेरिका से प्राप्त कर रही हैं।
वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज की अमेरिकी बाजार पर निर्भरता
वारी एनर्जीज (Waaree Energies) और प्रीमियर एनर्जीज (Premier Energies) जैसी कंपनियों की अमेरिका में सशक्त उपस्थिति है। वारी एनर्जीज की 47,000 करोड़ रुपये की ऑर्डरबुक में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी प्रमुख है। कंपनी ने अमेरिका में सोलर मॉड्यूल्स का मैन्युफैक्चरिंग प्लांट भी स्थापित किया है और उसकी उत्पादन क्षमता को और बढ़ाने की स्वीकृति मिल चुकी है।
वहीं प्रीमियर एनर्जीज ने भी अमेरिका में सोलर सेल निर्माण के लिए प्लांट लगाने की योजना बनाई है। लेकिन अभी वह कुछ पॉलिसी से जुड़े मुद्दों पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रही है।
Revenue पर संभावित असर
वारी एनर्जीज के लिए अमेरिकी बाजार सिर्फ एक एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि कमाई का बड़ा जरिया भी है। कंपनी को अमेरिकी क्लाइंट्स से सप्लाई के लिए एडवांस पेमेंट मिल चुका है, जिससे उसे उम्मीद है कि उसके अधिकतर ऑर्डर बिक्री में परिवर्तित होंगे। अप्रैल 2025 में कंपनी ने 5000-6000 करोड़ रुपये की ऑपरेटिंग अर्निंग्स का अनुमान जताया था।
लेकिन अमेरिका में अगर सोलर सेक्टर की दिशा बदलती है, तो यह अनुमान भी ध्वस्त हो सकते हैं। कंपनियों को एक्सपोर्ट घटने, ऑर्डर रद्द होने या टर्म्स में बदलाव जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।